CORONA SPECIAL : कोरोना मुक्त हुए मरीजों को चेस्ट फिजियोथैरेपी है जरूरी

कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके मरीजों को सांस लेने में दिक्कत एक प्रमुख लक्षण है। संक्रमित मरीज का फेफड़ा प्रभावित होने की आशंका सबसे अधिक होती है।

कोरोना संक्रमण के शुरुआती लक्षणों के दिखते ही एकदम थैरेपी नहीं दी जानी चाहिए। सांस लेने में दिक्कत होने पर चेस्ट इसकी सलाह दे सकते हैं। इसमें पॉस्च्युरल ड्रेनेज, चेस्ट परक्यूजन, चेस्ट वाइब्रेशन, टर्निंग, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसी कई थैरेपी शामिल होती हैं। संक्रमण से मुक्त हो चुके मरीज के फेफड़े ठीक से काम नहीं करते हैं तो उन्हें चेस्ट थैरेपी करानी होती है।
सांस से जुड़ी दिक्कतें
कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों को चेस्ट थैरेपी कराने से फेफड़े अच्छे से काम करते हैं। यदि किसी तरह की कोई समस्या है तो ब्रीदिंग यानी सांस से जुड़ी समस्या हो सकती है। कोरोना वायरस का संक्रमण होने पर कई लोगों को खाने में किसी तरह का कोई स्वाद महसूस नहीं होता है, वहीं उन्हें गंध का पता भी नहीं चलता है। पहले इस लक्षण के बारे में पता नहीं था।ऐसे लक्षण सामने आने पर तत्काल जांच करवाना बेहद जरूरी है। इस तरह का कोई लक्षण सामने आने पर मरीज को दूसरे लोगों से दूरी बना लेनी चाहिए और चेहरे को पूरी तरह से ढंक कर रखना चाहिए।
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