श्रद्धा जताने निकली पैदल यात्रा से मैला हुआ नर्मदा का आंचल, पॉलीथिन-डिस्पोजल से पटे घाट और रास्ते

यात्रा के मार्ग पर शौच के भी माकूल इंतजाम नहीं करने से घाटों पर गंदगी फैली

<p>patrika News</p>
हंडिया. नर्मदा को पुण्य सलिला मानकर नदी के प्रति आस्था प्रकट करते हुए हर साल निकलने वाली पंचक्रोशी यात्रा से घाट और रास्ते गंदगी से पट रहे हैं। देवास जिले के नेमावर स्थित प्राचीन सिद्धनाथ महादेव मंदिर से प्रतिवर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी से शुरू होकर अमावस्या तक चलने वाली पांच दिन की यात्रा के जिले में दो पड़ाव रहते हैं। यहां से गुजरने के दौरान करीब 40 किमी के क्षेत्र में प्लास्टिक कैरी बैग, डिस्पोजल सहित अन्य कचरा जगह-जगह देखा जा सकता है। यात्रा के दौरान पडऩे वाले गांवों में शौच के भी माकूल इंतजाम नहीं होने से घाट किनारे गंदगी बढ़ गई है। खास बात यह है कि सालों से निकल रही इस धार्मिक यात्रा पर होने वाले खर्च को लेकर शासन-प्रशासन कोई प्रबंध नहीं करता। जिले की आठ ग्राम पंचायतों पर यात्रा की व्यवस्था का भार थोप दिया जाता है। ग्राम पंचायतें अन्य मदों की राशि से विद्युत व पेयजल के अलावा यात्रा में ड्यूटी कर रहे स्टाफ की भोजन व्यवस्था तो कर देती हंै, लेकिन सफाई की ओर ध्यान नहीं दिया जाता। प्रशासन भी स्वास्थ्य व सुरक्षा के तो पुख्ता प्रबंध करता है, लेकिन कचरा निष्पादन व घाट किनारे मल-मूत्र रोकने को लेकर कुछ नहीं किया जाता। लिहाजा यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ती जाती है वैसे-वैसे रास्ते पर कचरा फैलता जाता है। धार्मिक आस्था जताने के नाम पर इसमें शामिल करीब 15 हजार यात्रियों में से बेहद कम ही इस बात का ख्याल रखते हैं कि उनके द्वारा फेंके गए कचरे से नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है।
जनपद पंचायत नहीं निभाती कोई भूमिका
जनपद पंचायत द्वारा यात्रा को लेकर ग्राम पंचायतों को किसी भी मद में राशि नहीं दी जाती। इसके चलते यात्रा मार्ग की ग्राम पंचायत जलोदा, शमशाबाद, नांदरा, सुरजना, हंडिया, मांगरूल, सीगोन, नयापुरा आदि द्वारा व्यवस्था के नाम पर केवल रस्मअदायगी की जाती है। पंचायत सचिवों के मुताबिक वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर 50 से 70 हजार रुपए अन्य मद से खर्च किए जाते हैं। दबी जुबान में बोलते सचिवों की मानें तो अन्य जिलों में इस तरह के बड़े आयोजन पर खर्च का जिम्मा जनपद पंचायत उठाती है, लेकिन यहां ऐसा नहीं होता।
धन के अभाव में नहीं बनते अस्थाई शौचालय
ग्राम पंचायतों के पास धन की कमी होने से अस्थाई शौचालय नहीं बन पाते। हंडिया में खड़े किए गए चलित शौचालयों का उपयोग भी लोग नहीं करते। इसके चलते घाट पर गंदगी फैल गई है।
स्वागत पांडाल के आसपास कचरे के ढेर
यात्रा मार्ग पर कई जगह श्रद्धालुओं को जलपान, नाश्ता आदि नि:शुल्क दिया गया। इसके चलते यहां प्लास्टिक कचरा बड़ी मात्रा में फैला पड़ा है।

गांवों में कचरा प्रबंधन के ट्रायल के बाद आगे नहीं बढ़ी बात
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत ढाई साल पहले राज्य सरकार ने गांवों से कचरा संग्रहण की योजना को परखने के लिए क्लस्टर बनाकर एसएलडब्ल्यूएम (सॉलिड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंंट) का ट्रायल तो किया, लेकिन यह काम अब तक मूर्त रूप नहीं ले सका। घरों से निकलने वाले कचरे का बेहतर प्रबंधन नहीं होने से यह गांवों की बदसूरती बढ़ा रहा है। नर्मदा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए इसके किनारे के कस्बे व गांवों में भी कचरा निष्पादन के प्रभावी उपाय शुरू नहीं हो सके। नर्मदा किनारे बसे तहसील मुख्यालय हंडिया में यह स्थिति है कि लोग घरों के सामने कचरा फेंक रहे हैं। सात हजार की आबादी वाले कस्बे में ग्राम पंचायत के पास कोई व्यवस्था नहीं होने से कचरा उठाया नहीं जाता। पर्व स्नान के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों की नजर न पड़े इसलिए उस दिन कचरा इकट्ठा कर दूसरी जगह फेंक दिया जाता है।
इधर, नदी के तट पर नहीं रुक रहा शवदाह
नर्मदा के तटों पर शवदाव भी नहीं रुक रहा। इससे भी जल प्रदूषण बढ़ रहा है। वहीं स्नान के लिए आने वाले लोग नदी में ब्लेड, चमड़े के बेल्ट, जूते-चप्पल, पीओपी की मूर्तियां, देवी-देवताओं के फोटो फ्रेम, बड़ी मात्रा में कपड़े आदि सामान फेंक जाते हैं।
पत्रिका की अपील
– घाटों पर स्नान करने के दौरान साबुन, डिटरजेंट, शैम्पू का इस्तेमाल न करें।
– पूजन सामग्री को नदी में न फेंके।
– आस्था के नाम पर त्यागे गए कपड़े व जूते-चप्पल पानी में न फेंके।
– नदी के पानी में वाहन न धोएं।
इनका कहना है
पंचक्रोशी यात्रा के लिए अलग से बजट प्रावधान नहीं है। ग्राम पंचायतें ही सफाई सहित अन्य व्यवस्था करती हैं। नर्मदा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए यात्रा मार्ग पर विशेष सफाई के निर्देश दिए गए हैं।
– दिलीप कुमार यादव, सीईओ, जिला पंचायत हरदा
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.