गांव के पांव – लॉकडाउन में समस्याओं से जूझ रहे भूमिहीन कृषक, जीवनयापन में कठिनाई

– सरकार की ओर से भी नहीं की जा रही किसी भी प्रकार की मदद

<p>बालागांव। परिवार के साथ भूमिहीन कृषक नर्मदा प्रसाद कुशवाहा। </p>
दीनबंधु गौर, बालागांव. लॉकडाउन की वजह से कई भूमिहीन कृषकों को जीवनयापन करने में विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें शासन से भी कोई मदद नहीं मिल रही। बालागांव निवासी नर्मदाप्रसाद पिता भागीरथ कुशवाहा इन्हीं में से एक हैं। उनके पास जमीन नहीं है, और ना ही आय का कोई अन्य साधन। परिवार के सदस्यों द्वारा मजदूरी कर जीवनयापन किया जा रहा है। उनका कहना है कि पहले अन्य कृषकों का खेत खोट (सिकमी) लेकर कृषि कार्य किया जाता था, लेकिन खर्च अधिक होने से नुकसान हुआ। इसलिए यह काम बंद कर मजदूरी कर जीवनयापन करने लगे। कुशवाहा का एक बेटा टेंट हाउस व्यवसायी के यहां 3000 रुपए महीने में काम करता है, वहीं दूसरा शिक्षित बेटा नौकरी पाने के प्रयास में है। बड़े बेटे अनुराग उर्फ लाला के मुताबिक बुजुर्ग पिता अक्सर बीमार रहते हैं। इसके चलते पूरे समय काम नहीं कर पाते। जिनके यहां मजदूरी की वहां से भी समय पर पैसे नहीं मिले। लॉकडाउन में उधार लेकर घर खर्च चलाना पड़ा। काम न मिलने से पैसों की कमी है, लिहाजा उधारी चुकाने की चिंता सताती है।
शासकीय मदद से वंचित है परिवार
अनुराग ने बताया कि उनके परिवार का बीपीएल कार्ड नहीं है। इसके चलते उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। यह समस्या ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों को भी बताई गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पिता को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ भी नहीं मिलता।
बारिश में और बढ़ेगी परेशानी
भूमिहीन कृषक कुशवाहा ने बताया कि बारिश में उनकी परेशानी और बढ़ जाती है। मकान नदी से कुछ दूरी पर होने से बाढ़ का पानी भरा जाता है।
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