कॉलोनियों में भरे गंदे पानी में पैदा हो रहे डेंगू, मलेरिया के लार्वा

एक महीने में दस लोग मलेरिया से पीडि़त हुए, मौसम में बदलाव आने से सर्दी-खांसी और बुखार का प्रकोप फैला

<p>कॉलोनियों में भरे गंदे पानी में पैदा हो रहे डेंगू, मलेरिया के लार्वा</p>
हरदा. जिले में बारिश नहीं होने से मौसम में गर्मीऔर उसम हो गईहै, जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। कॉलोनियों में जमा गंदे पानी में डेंगू और मलेरिया के लार्वा तेजी से पनप रहे हैं, जिससे लोग मलेरिया के शिकार होते जा रहे हैं। वहीं बुखार और सर्दी-खांसी ने भी लोगों को जकड़ लिया है। प्रतिदिन जिला अस्पताल में उक्त बीमारी के मरीज इलाज कराने के लिए आ रहे हैं। रोगियों की संख्या बढऩे से वार्डों में पलंगों की कमी होने लगी है।एक पलंग पर दो-दो मरीजों को भर्ती कर इलाज दिया जा रहा है। इसके अलावा रोगियों की खून की जांच कराने पर उन्हें मलेरिया होने की पुष्टि हो रही है। शहर में बढ़ते मच्छरों के प्रकोप को रोकने के लिए नगर पालिका अथवा मलेरिया द्वारा विभाग द्वारा कोईप्रयास नहीं किए जा रहे हैं। बीते पांच दिनों के अंदर बुखार और सर्दी-खांसी के करीब ३ हजार ७५० मरीजों ने इलाज कराया, वहीं मलेरिया की लगभग ५०० पट्टियां बनी हैं।
मलेरिया रोगी बढऩे की आशंका
पिछले एक हफ्ते से शहर में तेज धूप और उमस ने लोगों को बेहाल कर दिया है। दिन में गर्मीऔर रात्रिमें ठंड का अहसास होने से लोग सर्दी, खांसी और बुखार से पीडि़त हो रहे हैं। जिला अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 750 लोग उक्त बीमारी का इलाज कराने के लिए आ रहे हैं। डॉक्टरों द्वारा मौसम को देखते हुए मलेरिया की आशंका जताते हुए उनकी खून की जांच कराईजा रही है। पिछले एक महीने के दौरान करीब 10 लोग मलेरिया के पॉजिटिव पाए गए। वर्तमान मौसम को देखते हुए इस बीमारी के बढऩे की आशंका बढ़ गई है। यही हाल तहसील के गांवों में भी बने हुए हैं। गत दिवस टिमरनी शहर निवासी रामकृष्ण मलेरिया से पीडि़त होने पर जिला अस्पताल में भर्तीहुआ।
पिछले साल 147 का हुआ था मलेरिया
स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते गत वर्ष भी सैकड़ों लोग मलेरिया की चपेट में आ गए थे। जिले के तीनों विकासखंडों में मलेरिया रोग फैल गया था, जिसमें लगभग 147 लोग मलेरिया से पीडि़त हो गए थे। इसमें हरदा विकासखंड में 29, हंडिया में 22, टिमरनी में 86 और खिरकिया में 10 रोगी मलेरिया के और 4 डेंगू रोगी शामिल थे।
1 सितंबर से 15 अक्टूबर तक चलना है अभियान
लोगों को मलेरिया से रोग से बचाने के लिए शासन द्वारा इस बार भी दो चरणों में राष्ट्रीय वेक्टर जनित कार्यक्रम के तहत जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। गत 1 सितंबर से 15 अक्टूबर तक गांवों में मच्छरों को मारने के लिए मच्छरनाशक का छिड़काव कराया जा रहा है। किंतु इसके बावजूद मलेरिया रोगियों की संख्या सामने आ रही है। जबकि मलेरिया विभाग ने टिमरनी ब्लाक के 14 गांवों को हाईरिस्क मलेरिया ग्रसित क्षेत्र माना है।
नहीं चल रही फागिंग मशीन और दवा का छिड़काव
शहर के विभिन्न वार्डों के अंतर्गत आने वाली कॉलोनियों में नालियां नहीं होने से घरों का गंदा पानी और बारिश का पानी बारह महीने भरा रहता है, जिसमें डेंगू और मलेरिया के लार्वा पैदा होते रहते हैं। किंतु नगर पालिका द्वारा अथवा स्वास्थ्य विभाग द्वारा गंदे पानी में पनपने वाले मच्छरों को नष्ट करने के लिए ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जून से अक्टूबर महीने तक मलेरिया और डेंगू रोग फैलने वाला माना जाता है। किंतु इसके बाद भी सजगता नहीं दिखाई जा रही है। शहर में नपा द्वारा फागिंग मशीन का धुआं नहीं किया जा रहा है, वहीं गंदे पानी में लार्वा नष्टकरने वाला आईल अथवा दवा का छिड़काव नहीं कर रहे हैं।
पर्ची बनवाने दो घंटे खड़े रहते हैं मरीज
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों को १० रुपए में पर्चीबनवाना पड़ती है, लेकिन दो ही काउंटर होने से सैकड़ों लोगों को दो-दो घंटे पर्ची बनवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है। सुबह 10 से 1 बजे तक डॉक्टर ओपीडी में बैठते हैं। किंतु मरीजों की पर्चियां नहीं बन पाने से उन्हें एक बजे के डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं।
इनका कहना है
मौसम में आए बदलाव के कारण सर्दी-खांसी और बुखार का प्रकोप बढ़ा है। अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी है। काउंटर से पर्ची बनाने में आ रही समस्या को लेकर शिकायत मिली है। मैं कल दिखवाता हूं। कॉलोनियों में मच्छरों को नष्टकरने के लिए नगर पालिका और मलेरिया विभाग को छिड़काव करना चाहिए।
डॉ. एसके सेंगर, सिविल सर्जन,
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