सता रहा जुर्माने का डर, ठिकाने आ रहा रिकॉर्ड

हनुमानगढ़. आखिरकार जुर्माना लगने का डर कुछ असर दिखाने लगा है। चिकित्सीय जांच से जुड़े सेंटर, लैबोरेट्री आदि का रिकॉर्ड निर्धारित प्रारूप में पहली बार चिकित्सा विभाग के स्थानीय कार्यालय में जमा हो रहा है।

<p>सता रहा जुर्माने का डर, ठिकाने आ रहा रिकॉर्ड</p>
सता रहा जुर्माने का डर, ठिकाने आ रहा रिकॉर्ड
– समझाइश के बाद सख्ती बरतने की चेतावनी का असर, बीस प्रतिशत के दस्तावेज जमा
– अभी भी दर्जनों केन्द्र कर रहे मनमानी
हनुमानगढ़. आखिरकार जुर्माना लगने का डर कुछ असर दिखाने लगा है। चिकित्सीय जांच से जुड़े सेंटर, लैबोरेट्री आदि का रिकॉर्ड निर्धारित प्रारूप में पहली बार चिकित्सा विभाग के स्थानीय कार्यालय में जमा हो रहा है। निरंतर समझाइश और अब सख्ती बरतने की चेतावनी का ही परिणाम है कि करीब बीस प्रतिशत संस्थानों ने पंजीयन संबंधी कागजात जमा करवा दिए हैं। हालांकि दस्तावेज जमा कराने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाने वालों की अभी भी बड़ी संख्या है।
इसको लेकर चिकित्सा विभाग निरंतर प्रयास में जुटा हुआ है। एक अप्रेल के बाद से बिना पंजीयन वाली लैबोरेट्री, इमेजिंग सेंटर आदि के खिलाफ समझाइश के बजाय सख्ती बरतने की चेतावनी दी गई है। यदि विभागीय जांच दल के समक्ष निरीक्षण के दौरान आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जाएंगे तो अधिकतम दो लाख रुपए तक का जुर्माना ठोका जा सकता है। इतना मोटा जुर्माना लगाने का प्रावधान नियमों का उल्लंघन करने वालों का पसीना छुड़ाने लगा है।

रिकॉर्ड की यह स्थिति
चिकित्सा विभाग के अनुसार जिले में दो सौ से ज्यादा लैबोरेट्री, एक्स-रे सेन्टर, इमेजिंग सेन्टर आदि संचालित हैं। अब तक रजिस्ट्रीकरण एवं विनियम 2013 के तहत 45 संस्थानों ने दस्तावेज वगैरह जमा करवा दिए हैं। खास बात यह कि अब से पहले तक कभी भी एक दर्जन संस्थानों ने भी दस्तावेज जमा नहीं कराए थे। जबकि इसको लेकर चिकित्सा विभाग पूर्व में कई बार प्रयास कर चुका है।

कितना अर्थदंड तय
सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि मापदंडों के अनुसार यदि कोई संस्थान जांच के दौरान आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करता है तो पहली बार दोष साबित होने पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। जबकि दूसरी बार दो लाख रुपए का जुर्माना लगाकर संस्थान को बंद किया जा सकता है।
इनकी आवश्यकता
चिकित्सा विभाग के अनुसार जांच संस्थान भवन न्यूनतम 160 वर्ग फीट में एवं वहां फायर कंट्रोल सिस्टम लगा होना चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रमाण पत्र तथा संस्थान बायोवेस्ट मेडिकल से जुड़ा होना चाहिए। राजस्थान पैरामेडिकल कौंसिल से रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। इन दस्तावेजों एवं मापदंडों की पूर्ति करने में ही जांच संस्थानों को जोर आ रहा है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.