दान के लिए दाता का सरकार तक रही मुंह, जनता नहीं दे रही अस्पतालों को जमीन

अदरीस खान @ हनुमानगढ़. बजट में नए राजकीय अस्पताल खोलने की घोषणा कर नेता वाहवाही तो खूब लूटते हैं। लेकिन अपनी घोषणा-वादों को सिरे चढ़ाने के लिए जनता का मुंह तकने लगते हैं।

<p>दान के लिए दाता का सरकार तक रही मुंह, जनता नहीं दे रही अस्पतालों को जमीन</p>
दान के लिए दाता का सरकार तक रही मुंह, जनता नहीं दे रही अस्पतालों को जमीन
– चार सीएचसी के लिए बजट मंजूर, जमीन के अभाव में नहीं बन रहे भवन
– मंजूरी के वर्षों बाद भी तीन दर्जन से अधिक राजकीय अस्पतालों को नहीं मिली जमीन
– उधार के भवनों में मापदंडों के विरुद्ध संचालित हो रहे स्वास्थ्य केन्द्र
अदरीस खान @ हनुमानगढ़. बजट में नए राजकीय अस्पताल खोलने की घोषणा कर नेता वाहवाही तो खूब लूटते हैं। लेकिन अपनी घोषणा-वादों को सिरे चढ़ाने के लिए जनता का मुंह तकने लगते हैं। और जिले की जनता ऐसी कि नेताजी के मंजूर किए गए चिकित्सालय के लिए जमीन देने में बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखा रही है। यही वजह है कि तीन दर्जन से अधिक उप स्वास्थ्य केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्र तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भूमि विहीन हैं। मापदंडों के अनुरूप भूमि नहीं मिलने से बजट के बावजूद भवन निर्माण नहीं हो पा रहा है।
जानकारों की माने तो पिछले कुछ सालों में जमीनों के भाव बढ़े हैं। इस कारण लोग अपनी महंगी जमीन दान में देने से परहेज कर रहे हैं। इसके अलावा चिकित्सा विभाग के मापदंडों के अनुरूप जमीन भी बहुत चाहिए, उतनी लोग जल्दी से दान करते नहीं। कहीं धर्मशाला व गुरुद्वारे में तो कहीं आंगनबाड़ी केन्द्र, सरकारी पाठशाला या फिर किराए के भवन में यह स्वास्थ्य केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। मापदंडों के अनुरूप भवन नहीं होने से जाहिर है कि वहां जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं कैसे मिल पाएगी। खास बात यह है कि लम्बे इंतजार तथा प्रयासों के बाद गांवों में उक्त स्वास्थ्य केन्द्र मंजूर हुए थे। जमीन के अभाव में इनका पूरा लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। चिकित्सा विभाग की ओर से जिला परिषद को पूर्व में कई बार पत्र भी लिखे जा चुके हैं। अब सीएमएचओ ने जमीन उपलब्ध कराने के संबंध में जिला कलक्टर को पत्र लिखकर गुहार लगाई है।

मंजूरी की खुशी काफूर
जानकारी के अनुसार जिले में 36 उप स्वास्थ्य केन्द्रों के भवन निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध नहीं है। बिना भवन व भूमि के यहां-वहां उनका संचालन किया जा रहा है। इसी तरह पांच प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र भूमि के लिए तरस रहे हैं। इनमें ललाना दिखनादा, मुंडा, खोडां, चक हीरासिंहवाला तथा नुकेरां पीएचसी शामिल है। जबकि दो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए भूमि नहीं मिल रही है। इनमें नव क्रमोन्नत गोगामेड़ी सीएचसी तथा ढाबा सीएचसी शामिल है।

जैसे-तैसे संचालन
हनुमानगढ़ ब्लॉक के चक दो एचएमएच का सब सेंटर धर्मशाला में संचालित है। संगरिया के ढाबां स्टेशन का सब सेंटर गुरुद्वारे में चल रहा है। वहीं 14 उप केन्द्रों का संचालन आंगनबाड़ी केन्द्रों में हो रहा है। जबकि आंगनबाड़ी का स्वयं का भवन ही एक-दो कक्ष का होता है। इसके अलावा आधा दर्जन से अधिक स्वास्थ्य केन्द्र किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं। शेष विद्यालय के एक कक्ष व उधार के निजी भवन में चल रहे हैं।

कितनी चाहिए जमीन
सीएचसी के लिए अनुमानत: 4.25 बीघा व पीएचसी के लिए 1.7 बीघा भूमि की जरूरत होती है। जबकि सब सेंटर के लिए न्यूनतम सौ गुणा सौ वर्ग फीट जमीन होना जरूरी है। अगर भविष्य की जरूरत के हिसाब से देखा जाए तो सब सेंटर के लिए भी पीएचसी जितनी भूमि होनी चाहिए ताकि सब सेंटर जब पीएचसी में क्रमोन्नत हो तो कोई दिक्कत ना आए। लेकिन हकीकत यह है कि ग्राम पंचायतें सौ गुणा सौ वर्ग फीट जमीन भी मुहैया नहीं करवा पा रही। जहां सब सेंटर स्वीकृत हुए हैं, उनमें से कई दूरस्थ गांव हैं। उनमें पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। वहां शीघ्र स्वास्थ्य केन्द्र खुलना बेहद जरूरी है। मगर जमीन के अभाव में चिकित्सा केन्द्र मंजूर होने के बाद भी आमजन को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

सेवा का दबाव
स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए भूमि उपलब्ध नहीं होने से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। चिकित्सा कार्मिकों पर स्वास्थ्य केन्द्र के अनुरूप सुविधा एवं सेवा मुहैया कराने का दबाव रहता है। जबकि कई जगहों पर तो आउटडोर व लैब से लेकर मापदंडों के अनुरूप लेबर रूम तक नहीं हैं। ऐसे में तय सुविधाएं उपलब्ध कराना चुनौती साबित हो रहा है।

कलक्टर को लिखा पत्र
राज्य सरकार की बजट घोषणा में शामिल सीएचसी गोगामेड़ी, पीएचसी ललाना दिखनादा, पीएचसी मुंडा, सब सेंटर मालासर, चक छह-आठ एलएलडब्ल्यू आदि के लिए भूमि उपलब्ध कराने को लेकर 31 मार्च को ही सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने जिला कलक्टर को पत्र लिखा है। क्योंकि उक्त संस्थानों के लिए बजट मंजूर है। भूमि उपलब्ध होने पर ही भवन का निर्माण हो सकेगा।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.