भर्ती नहीं करने का नतीजा
स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन कोरोना वायरस की नई गाइडलाइन के हिसाब से काम कर रहा है। नई गाइडलाइन के मुताबिक सैंपल लेने वाले संदिग्ध रोगियों को जिला अस्पताल में भर्ती करने की बजाए सैंपल लेकर होम क्वॉरंटीन किया जाता है। इतना ही नहीं पॉजिटिव रोगी में लक्षण नहीं होने पर उसे भर्ती करने की बजाए होम क्वॉरंटीन में रख सकते हैं। इसी का नतीजा है कि यह व्यक्ति होम क्वॉरंटीन होने के बावजूद बॉम्बे अस्पताल चला गया। कोरोना हॉट स्पॉट इलाके से आने पर अगर स्वास्थ्य विभाग सात मई को ही जिला अस्पताल में भर्ती करवा देता तो आज शहर में हडकंप नहीं मचता और ना ही पॉजिटिव रोगी से ज्यादा लोग संपर्क में नहीं आए होते।
स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन कोरोना वायरस की नई गाइडलाइन के हिसाब से काम कर रहा है। नई गाइडलाइन के मुताबिक सैंपल लेने वाले संदिग्ध रोगियों को जिला अस्पताल में भर्ती करने की बजाए सैंपल लेकर होम क्वॉरंटीन किया जाता है। इतना ही नहीं पॉजिटिव रोगी में लक्षण नहीं होने पर उसे भर्ती करने की बजाए होम क्वॉरंटीन में रख सकते हैं। इसी का नतीजा है कि यह व्यक्ति होम क्वॉरंटीन होने के बावजूद बॉम्बे अस्पताल चला गया। कोरोना हॉट स्पॉट इलाके से आने पर अगर स्वास्थ्य विभाग सात मई को ही जिला अस्पताल में भर्ती करवा देता तो आज शहर में हडकंप नहीं मचता और ना ही पॉजिटिव रोगी से ज्यादा लोग संपर्क में नहीं आए होते।
अब किया भर्ती
सुरेशिया का पॉजिटिव रोगी दिल्ली पुलिस का कार्मिक है। यह 6 मई को दिल्ली से बाइक के जरिए हनुमानगढ़ आया था। स्वास्थ्य विभाग को छह मई को ही सूचना मिलने पर होम क्वॉरंटीन कर दिया था। सात मई को कोरोना वायरस की जांच कराने के लिए सैंपल लेने के लिए इसे जिला अस्पताल लाया गया था। फिर वापस घर भेज दिया गया। सैंपल फेल होने पर करीब 36 घंटे के बाद फिर से जिला अस्पताल लाया गया और फिर से वापस भेज होम क्वॉरंटीन के लिए घर भेज दिया। अगर पहले ही दिन इसी जिला अस्पताल में भर्ती कर लिया जाता तो स्वास्थ्य विभाग को इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ती जो अब करनी पड़ेगी। सोमवार को इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है।
सुरेशिया का पॉजिटिव रोगी दिल्ली पुलिस का कार्मिक है। यह 6 मई को दिल्ली से बाइक के जरिए हनुमानगढ़ आया था। स्वास्थ्य विभाग को छह मई को ही सूचना मिलने पर होम क्वॉरंटीन कर दिया था। सात मई को कोरोना वायरस की जांच कराने के लिए सैंपल लेने के लिए इसे जिला अस्पताल लाया गया था। फिर वापस घर भेज दिया गया। सैंपल फेल होने पर करीब 36 घंटे के बाद फिर से जिला अस्पताल लाया गया और फिर से वापस भेज होम क्वॉरंटीन के लिए घर भेज दिया। अगर पहले ही दिन इसी जिला अस्पताल में भर्ती कर लिया जाता तो स्वास्थ्य विभाग को इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ती जो अब करनी पड़ेगी। सोमवार को इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है।
कहीं नजर रखने में तो नहीं हुई चूक
होम क्वॉरंटीन में किए गए व्यक्ति पर नजर रखने के लिए टीम की डयूटी लगाई जाती है। छह मई को होम क्वॉरंटीन करने के बावजूद नौ मई को जंक्शन के बाम्बे अस्पताल पॉजिटिव व्यक्ति परिजनों को दिखाने जाता है। ऐसे में कि होम क्वॉरंटीन किए गए व्यक्ति की निगरानी में कमी दिखती है।
होम क्वॉरंटीन में किए गए व्यक्ति पर नजर रखने के लिए टीम की डयूटी लगाई जाती है। छह मई को होम क्वॉरंटीन करने के बावजूद नौ मई को जंक्शन के बाम्बे अस्पताल पॉजिटिव व्यक्ति परिजनों को दिखाने जाता है। ऐसे में कि होम क्वॉरंटीन किए गए व्यक्ति की निगरानी में कमी दिखती है।