छेड़खानी से परेशान नाबालिग छात्रा ने किया आत्मदाह, इलाज दौरान में तोड़ा दम

छेड़खानी से परेशान 15 वर्षीय 9वीं कक्षा की छात्रा ने अपने घर में ही मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह (Suicide) कर लिया। नतीजतन हालत गंभीर होने के चलते आज छात्रा ने कानपुर के उर्सला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

<p>Hamirpur news</p>
पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
हमीरपुर. केंद्र व प्रदेश की सरकारें महिला सशक्तिकरण (Women empowerment) के कितने भी दावे और वादे कर ले, नारी सुरक्षा की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। सूबे में बढ़ते महिला अपराध की रोकथाम के लिए किए गए तमाम उपयों की पोल अक्सर समाज में महिलाओं के साथ होने वाली घटनाएं खोल कर रख देती हैं। ताज़ा मामला हमीरपुर का है, जहाँ छेड़खानी से परेशान 15 वर्षीय 9वीं कक्षा की छात्रा ने अपने घर में ही मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह (Suicide) कर लिया। नतीजतन हालत गंभीर होने के चलते आज छात्रा ने कानपुर के उर्सला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
सुमेरपुर थाना क्षेत्र के पारा गाव निवासिनी कक्षा 9 की छात्रा ने बीत 30 मार्च को अपने घर के भीतर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह का प्रयास किया था, जिसके बाद गंभीर हालत में उसे जिला अस्पताल लाया गया। ज़िला अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद पीड़िता छात्रा को डॉक्टरों ने कानपुर के उर्सला अस्पताल रिफर कर दिया। आत्मदाह की शिकार हुई छात्रा ने 4 दिन तक ज़िन्दगी और मौत की जंग लड़ी, लेकिन शनिवार सुबह हालत नाज़ुक होने के चलते उसने दम तोड़ दिया।
पीड़िता ने पुलिस को दिए अपने आखिरी बयान में बताया कि गांव का ही कक्षा 9 का छात्र उसको अक्सर परेशान कर छेड़खानी करता था। उक्त आरोपी के पास उसका तथाकथित वीडियो भी था जिसको वह वायरल करने की धमकी भी देता था। पीड़िता की माँ कैंसर पीड़ित है इसलिए पीड़िता ने अपने घर में छेड़खानी की बात छुपाकर रखी थी।
आरोपी की हुई थी पिटाई-

30 मार्च को होली के दिन भी उक्त आरोपी ने मृतका के साथ छेड़खानी का प्रयास किया, जिसके बाद मृतका के परिजनों ने उसकी पिटाई भी की थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने मामला शांत करवाकर थाने में आकर FIR दर्ज करने की बात कही थी, लेकिन इससे पहले FIR दर्ज होती पीड़िता अपनी बदनामी का दंश नहीं झेल पायी और आत्मदाह जैसा कदम उठा लिया।
पुलिस का यह है कहना-

पूरे घटनाक्रम के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है वही आरोपी भी पुलिस की गिरफ्त में है, लेकिन समाज में घटित होने वाली ऐसी घटनाएं पुलिसिया खौफ पर भी सवालिया निशान खड़ा करती है। क्योंकि नारी सुरक्षा और भयमुक्त वातावरण के तमाम पुलिसिया दावों के बाद भी अपराधियों में ज़रा भी भय नज़र नहीं आता।
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