Navratri 2021: सिंधिया राजवंश की कुलदेवी है मांढरे वाली माता

अष्टभुजा स्वरूप वाली महिषासुर मर्दिनी मां महाकाली के अद्भुत स्वरूप में विराजी है मां। सिंधिया प्रतिदिन करते थे दर्शन

ग्वालियर. शरदीय नवरात्रे 7 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं। नवरात्रों का माता के भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है। नवरात्रि पर देवी आराधना के लिए पूरे देश में तैयारियों का दौर चल रहा है। माता की झांकियों के लिए बड़े-बड़े पंडाल लगाए जा रहे हैं।

नवरात्र ग्वालियर व ग्वालियर राज घराने के लिए बहुत खास है। कम्पू क्षेत्र के कैंसर पहाड़ी पर बना यह भव्य मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से खास है। यह मंदिर सिंधिया राजवंश की कुलदेवी भी हैं। नवरात्र 2021 के मौके पर patrika.com आप को बता रहा है मध्यप्रदेश के प्रमुख देवी मंदिरों के बारे में…

 

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ऐसा बताया जाता है कि ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक जयाजीराव सिंधिया द्वारा 135 वर्ष पूर्व स्थापित कराया गया श्री महाकाली देवी का मंदिर, जिसे वर्तमान में मांढरेवाली माता के नाम से जाना जाता है। मंदिर में विराजमान अष्टभुजा वाली महिषासुर मर्दिनी मां महाकाली की प्रतिमा अद्भुत और दिव्य है।

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सिंधिया परिवार की कुलदेवी
अष्टभुजा वाली महाकाली मैया सिंधिया राजवंश की कुल देवी हैं। इस वंश के लोग जब भी कोई नया करते हैं तो मंदिर पर मत्था टेकने जरूर आते हैं। मांढ़रे वाली माता मंदिर में करीब 13 बीघा में फैला हुआ है। बताया जाता है कि यह भूमि सिंधिया राजवंश ने दी थी। इसकी देखरेख व जरूरत को आज भी सिंधिया परिवार करता है। यहां दूर-दराज से भी लोग दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।

 

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मंदिर व जयविलास पैलेस का मुख आमने-सामने
सिंधिया परिवार से जुड़े लोग बताते हैं कि मंदिर व जयविलास पैलेस का मुख आमने-सामने है। पैलेस से एक बड़ी दूरबीन के माध्यम से माता के दर्शन प्रतिदिन सिंधिया शासक किया करते थे। लोग बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण महाराजा जयाजीराव सिंधिया की फौज के कर्नल आनंदराव मांढरे के कहने पर तत्कालीन सिंधिया शासक ने कराया था।

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