सफल होने के लिए अनुशासन जरूरी
पद्मविभूषण ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद ने कहा कि मैंने 6 वर्ष की उम्र में चेस खेलना शुरू किया। 18 वर्ष की अवस्था में पद्मभूषण मिला और 38 वर्ष की उम्र में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। मेरे लिए यह गौरव की बात है। कई बार परिणाम में सफल न होने पर भी चेस के प्रति प्रेम ने कभी हार नहीं मानने दिया। यही दीवानगी जरूरी है। सफल होने के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है।
पद्मविभूषण ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद ने कहा कि मैंने 6 वर्ष की उम्र में चेस खेलना शुरू किया। 18 वर्ष की अवस्था में पद्मभूषण मिला और 38 वर्ष की उम्र में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। मेरे लिए यह गौरव की बात है। कई बार परिणाम में सफल न होने पर भी चेस के प्रति प्रेम ने कभी हार नहीं मानने दिया। यही दीवानगी जरूरी है। सफल होने के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है।
लक्ष्य ऊंचा रखें और लक्ष्य पर फोकस करें
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा की धारा के साथ रहने की आवश्यकता नहीं, आप अपना रास्ता स्वयं बनाएं। अपने आप को कठिन लक्ष्य की तरफ ले जाएं, जैसा स्टीव जॉब्स ने किया था। उन्होंने कहा कि अपना लक्ष्य ऊंचा रखें परंतु सभी दिशाओं में नहीं बल्कि अपने लक्ष्य को फोकस करें और महत्वपूर्ण निर्णय लें। आपके लिए जो अच्छा है, आप उसे चुने और जो करें उसे ईमानदारी के साथ करें।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा की धारा के साथ रहने की आवश्यकता नहीं, आप अपना रास्ता स्वयं बनाएं। अपने आप को कठिन लक्ष्य की तरफ ले जाएं, जैसा स्टीव जॉब्स ने किया था। उन्होंने कहा कि अपना लक्ष्य ऊंचा रखें परंतु सभी दिशाओं में नहीं बल्कि अपने लक्ष्य को फोकस करें और महत्वपूर्ण निर्णय लें। आपके लिए जो अच्छा है, आप उसे चुने और जो करें उसे ईमानदारी के साथ करें।
जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
इस वर्ष का माधव अवॉर्ड प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ पुनीत बूलचन्द को दिया गया। उन्होंने 1961 में सिंधिया स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने कहा के अध्यापकों ने उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1969 में उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की। उनकी पीएचडी कंडेंस्ड मैटर फिजिक्स पर आधारित थी।
इस वर्ष का माधव अवॉर्ड प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ पुनीत बूलचन्द को दिया गया। उन्होंने 1961 में सिंधिया स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने कहा के अध्यापकों ने उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1969 में उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की। उनकी पीएचडी कंडेंस्ड मैटर फिजिक्स पर आधारित थी।
इन्हें मिली ट्रॉफी
उमंग माथुर मेमोरियल ट्रॉफी- मेमॉय मिश्रा (दौलत हाउस)
महेन्द्र मिश्रा मेमोरियल ट्रॉफी- उज्जल मेहरोत्रा (माधव हाउस)
महाराजा माधवराव सिंधिया सेकंड मेडल- उज्जवल मेहरोत्रा (माधव हाउस)
सैमपित्रोदा अवॉर्ड- प्रशांत पांडे एंड अमृत सिंह (दौलत हाउस)
आरबी पवार मेडल- अदिति जोशी (जयाजी हाउस)
फील्ड मार्शन करियप्पा शील्ड- कार्तिकेय कुलश्रेष्ठ (जयाजी हाउस)
महाराज जीवाजी राव सिंधिया मेडल- अदिति जोशी (जयाजी हाउस)
खुर्शीद लकडावाला अवॉर्ड- कनेरखेड़ हाउस (कनेरखेड़ हाउस)
गुरु हरगोविंद सिंह ट्रॉफी- जयाजी हाउस
नेपाल ट्रॉफी- दौलत हाउस
जनरल एफिसिएंशी शील्ड- महदजी हाउस
उमंग माथुर मेमोरियल ट्रॉफी- मेमॉय मिश्रा (दौलत हाउस)
महेन्द्र मिश्रा मेमोरियल ट्रॉफी- उज्जल मेहरोत्रा (माधव हाउस)
महाराजा माधवराव सिंधिया सेकंड मेडल- उज्जवल मेहरोत्रा (माधव हाउस)
सैमपित्रोदा अवॉर्ड- प्रशांत पांडे एंड अमृत सिंह (दौलत हाउस)
आरबी पवार मेडल- अदिति जोशी (जयाजी हाउस)
फील्ड मार्शन करियप्पा शील्ड- कार्तिकेय कुलश्रेष्ठ (जयाजी हाउस)
महाराज जीवाजी राव सिंधिया मेडल- अदिति जोशी (जयाजी हाउस)
खुर्शीद लकडावाला अवॉर्ड- कनेरखेड़ हाउस (कनेरखेड़ हाउस)
गुरु हरगोविंद सिंह ट्रॉफी- जयाजी हाउस
नेपाल ट्रॉफी- दौलत हाउस
जनरल एफिसिएंशी शील्ड- महदजी हाउस