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ज्योतिर्विद डॉ.नरेन्द्रनाथ पांडेय के अनुसार अटल सुहाग एवं सुखमय दाम्पत्य जीवन की कामना से सुहागिनें हरितालिका तीज व्रत करती हैं। वहीं सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए कन्याएं भी इस मुहूर्त में भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले यह व्रत किया जाता है। गणेश चतुर्थी को भगवान का पूजन व्रती महिलाएं करती हैं। इस व्रत में सुहागिनें सोलह शृंगार कर व्रत रखती हैं। यह भी पढ़ें
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रात में करते हैं पूजाव्रतधारी सुहागिनें सूर्यास्त से अद्र्ध रात्रि तक पूजन-अर्चन करती हैं। फूलों का मंडप सजाकर पूजा की चौकी पर केले के पत्ते पर भगवान शिव-पार्वती की प्रतिमा रखकर पूजन-अभिषेक किया जाता है। महिलाएं हरितालिका तीज की कथा सुनती हैं। इस व्रत में रात्रि जागरण का खास महत्व है।
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मां पार्वती ने रखा था व्रतशास्त्रों के मुताबिक भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने भगवती पार्वती ने रेत का पार्थिव शिवलिंग निर्मित कर अन्न-जल त्याग कर कठिन तप साधना की थी। इस तिथि में यह व्रत किया जाता है।
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पूजन का समयपंडित सतीश सोनी ने बताया कि अटल सुहाग एवं सुखमय दाम्पत्य जीवन की कामना से सुहागिनें हरितालिका तीज व्रत करती हैं। व्रत के दौरान महिलाएं भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले यह व्रत किया जाता है। गणेश चतुर्थी को भगवान का पूजन व्रती महिलाएं करती हैं। इस व्रत में सुहागिनें सोलह शृंगार कर व्रत रखती हैं। उन्होंने बताया कि पूजन का शुभ समय सुबह 11.40 बजे और रात 10.40 बजे का है।