बचपन के शौक ने देश-दुनिया में दिलाई पहचान, रसिया म्यूजियम में लगी पेंटिंग बढ़ा रही देश का मान

मप्र रूपांकर सहित कई अवॉर्ड किए अपने नाम, टीचिंग छोड़ घर पर बना रहीं पेंटिंग

<p>बचपन के शौक ने देश-दुनिया में दिलाई पहचान, रसिया म्यूजियम में लगी पेंटिंग बढ़ा रही देश का मान</p>

ग्वालियर.
हमेशा से कहा जाता रहा है कि व्यक्ति को जिस चीज में इंट्रेस्ट हो, उसी में करियर बनाना चाहिए, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि जरूरतें किसी अलग फील्ड में जाने को विवश कर देती हैं। ऐसा ही हुआ ग्वालियर की डॉ. कुसुमलता शर्मा के साथ। उन्हें बचपन से पेंटिंग का बहुत शौक था, लेकिन उन्होंने एक कलाकार न बनकर इसी फील्ड में रहते हुए टीचिंग को चुना। वह फाइन आर्ट से पीएचडी कर टीचर बन गईं। अच्छी सेलरी होने के बाद भी उन्हें सटिस्फेक्शन नहीं मिला। क्योंकि उन्हें पेंटिंग बनाने का शौक था। इस शौक को उन्होंने नौकरी छोड़कर पूरा किया और कुछ ही समय में अच्छा मुकाम बनाया। उनकी चार पेंटिंग रसिया म्यूजियम में लगी हैं, जो देश की शोभा बढ़ा रही हैं।

नौकरी छोड़ शुरू की पेंटिंग बनाना
डॉ. कुसुमलता ने बताया कि मैं मुरार में रहती थी। शादी के बाद मैंने जीवाजी यूनिवर्सिटी से फाइन आर्ट में पीएचडी की और एक गवर्नमेंट स्कूल में गेस्ट फैकल्टी बन गई। बेटे के पढ़ाई के कारण मुझे भोपाल जाना पढ़ा। वहां भी टीचिंग की, लेकिन मुझे संतुष्टि नहीं मिली, तब मैं 2014 में भोपाल में ही सीनियर आर्टिस्ट यूसुफ सर से मिली। उन्होंने मुझे बताया कि आप पेंटिंग में ही अपना मन लगाओ। मैंने नौकरी छोड़ पेंटिंग बनाने की शुरुआत की। सर ने मुझे पेंटिंग की कुछ बारीकियां सिखाईं और वहीं से मुझे मंजिल तक पहुंचने का रास्ता मिलना शुरू हुआ।

मेरी सफलता के दो रास्ते, जिन्होंने बदली जिंदगी
यूसुफ सर ने मुझे सफलता के दो रास्ते बताए, जिन पर मैं चली। पहला आप पेंटिंग बनाने के लिए समय मत निकालो, बल्कि पेंटिंग बनाने से अन्य काम के लिए समय निकालो। दूसरा कभी भी अपने पैसे से एग्जीबिशन मत लगाओ। हमेशा होने वाले पेंटिंग कॉम्पीटिशन में अपनी पेंटिंग भेजो और सिलेक्ट होने पर एग्जीबिशन में पार्टिसिपेट करो। मैंने इन बातों का हमेशा ध्यान रखा।

 

एक महीने रसिया में रहकर बनाई पेंटिंग
मैं देशभर की कई सिटी में आयोजित एग्जीबिशन का हिस्सा बन चुकी हूं। मेरी पेंटिंग के लिए मुझे कई अवॉर्ड से भी नवाजा गया। 2016 में मुझे मप्र रूपांकर अवॉर्ड मिला। इसके दो माह बाद साउंथ सेंट्रल जोन से अवॉर्ड मिला। भारत भवन में आर्टिस्ट कैंप में सिलेक्शन हुआ। तीन साल के अंदर मुझे 12 बड़े अवॉर्ड मिले। 2018 में मुझे रसिया इन्वाइट किया गया, जहां मैं एक महीने रही और पेंटिंग बनाई, जो आज भी रसिया म्यूजियम की बेंजा आर्ट गैलरी में लगी हैं।

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