राम व सीता पर की थी विवादित पोस्ट
असम के सिल्चर थाने में दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक असम विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग के एक सहायक प्रोफ़ेसर अनिन्द्य सेन भगवान राम और सीता को लेकर एक विवादित पोस्ट लिखी। 5 अगस्त को प्रोफ़ेसर सेन ने अपने फ़ेसबुक पर ‘भगवान राम के उनकी पत्नी सीता को त्यागने’ के संदर्भ में एक पोस्ट लिखी थी। फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि ‘यह सब नाटक एक आदमी के लिए है जिसने अपनी पत्नी को छोड़ दिया था।’
एबीवीपी ने दर्ज कराई एफआईआर
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सिलचर यूनिट के आंदोलन प्रभारी रोहित चंदा ने प्रोफ़ेसर सेन के खिलाफ एफआरआई दर्ज करवाई है। जिसमें कहा गया है कि राम मंदिर का भूमि-पूजन समारोह मनाया जा रहा था, उस दिन प्रोफ़ेसर ने सांप्रदायिक अशांति को भड़काने और धार्मिक दंगे के लिए समाज को उकसाने के इरादे से सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली। पोस्ट की अंतिम लाइन में भगवान राम का नाम लिखा था। उनकी इस फ़ेसबुक पोस्ट पर कई लोगों
ने आपत्तिजनक पोस्ट भेजे थे।
गैर जमानती धारा लगाई
पुलिस ने प्रोफ़ेसर सेन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-295ए, 294 और 501 के तहत एक मामला दर्ज कर लिया है। प्रोफ़ेसर सेन पर जो धाराएं लगाई गई है उनमें धारा-295ए संज्ञेय तथा ग़ैर-ज़मानती और ग़ैर-कंपाउंडेबल अपराध के लिए है जिसमें गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के तुरंत बाद ज़मानत पर रिहा करने का अधिकार नहीं होता है। इस मामले में ज़मानत देने या देने से इनकार करना न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है।
पुलिस जांच जारी
इसके साथ ही एफ़आईआर में प्रोफ़ेसर सेन पर सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जैसे ‘संवैधानिक पदों की अवमानना’ का आरोप भी लगाया है। कछार जिले के पुलिस अधीक्षक भंवर लाल मीणा ने प्रोफ़ेसर सेन के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज होने की पुष्टी करते हुए कहा, “प्रोफ़ेसर सेन की फ़ेसबुक पर डाली गई एक पोस्ट से जुड़ा मामला है जिसमें धार्मिक भावनाओं को आहत करने की शिकायत मिली है। मामले की जाँच की जा रही है।
एक ग्रुप पीछे पड़ा है
प्रो. सेन का कहना है कि ‘इस मामले को इतना बड़ा बनाया गया क्योंकि एक ग्रुप है जो मेरे पीछे पड़ा हुआ है और उन्हीं लोगों ने ग़ैर-ज़मानती धारा-295ए के तहत यह एफआईआर कराई है। ‘अपने ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर पर बात करते हुए प्रोफ़ेसर सेन ने कहा, “रामायण महाकाव्य के कई अलग-अलग संस्करण में राम के अपनी पत्नी को त्यागने की बात का उल्लेख है। राम के बारे में विभिन्न बिंदुओं पर जो आलोचना है, वो बहुत पुरानी है। मैंने कुछ नया नहीं लिखा। मेरा इरादा कभी भी किसी हिन्दू भगवान या देवी का अपमान करने या किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का नहीं रहा है।”