हमें हर बुराई में भी अच्छाई ढूंढना चाहिए

मुनिश्री पदम सागर ने कहा जब तक आधारभूत ज्ञान नहीं, तब बड़े-बड़ेे ग्रन्थ पढऩा ठीक नहीं

<p>हमें हर बुराई में भी अच्छाई ढूंढना चाहिए</p>
गुना। हमें जब तक आधारभूत ज्ञान ही नहीं होगा तब तक बड़े-बड़े ग्रन्थ पढऩा ठीक नहीं। मंगलाष्टक के आठ पद हैं। हम इनको रोज पढ़ते अवश्य हैं पर जब तक हम इनका अर्थ नहीं समझेंगे तब तक इनके भीतर छिपे सार को कैसे समझ पाएंगे। मैं समयसार, द्रव्य संग्रह या श्रावकाचार ग्रन्थ नहीं बल्कि आरम्भ मंगलाष्टक के अर्थ से करूंगा। कैसे अभिषेक करना, पूजा करना, कैसे देव-शास्त्र-गुरु की विनय करना ये समझाऊंगा।
उक्त धर्मोपदेश जैनाचार्य विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनिश्री पदम सागरजी महाराज ने मंगलाष्टक के पदों का अर्थ समझाते हुए धर्मसभा में दिए। इसके पूर्व मुनिश्री विस्वाक्ष सागरजी महाराज ने कहा कि हमें हर बुराई में भी अच्छाई ढूंढना चाहिए। जो होता है वह अच्छे के लिए होता है। अपने सोच और चिंतन को सकारात्मक बनाएं, तभी हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
धर्मसभा का शुभारंभ पाठशाला परिवार के द्वारा आचार्यश्री की पूजन के साथ किया गया। वहीं आचार्य भगवन के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन रमेशचंद जैन जामनेर, धनकुमार जैन द्वारा किया गया । मंगलाचरण बहन सुरभि जैन ने किया, जबकि मुनिश्री को शास्त्रदान महेंद्र बांझल, सुरेश जैन तथा अनिल अंकल ने किया।
इस मौके पर समाज अध्यक्ष संजीव जैन एवं मंत्री कमलेश जैन ने बताया कि वर्षायोग कलश स्थापना के साथ ही मुनिसंघ के सानिध्य में प्रात: काल युवाओं की कक्षा, दोपहर को पुरुष वर्ग-महिला वर्ग की संयुक्त कक्षा एवं शाम को आचार्य भक्ति के बाद प्रश्न मंच एवं भक्ति पाठ का अर्थ आदि की कक्षा चलेगी। कमेटी ने सम्पूर्ण जैन समाज से सभी धार्मिक कार्यक्रमों में कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए समय पर उपस्थित रहकर ज्ञानार्जन करने की अपील की है। सभा का संचालन उपाध्यक्ष अनिल बडकुल ने किया।
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