कोरोना संकट के बीच ग्रामीण अंचल में गहरा रहा जल संकट

– भू-जल स्तर गिरने से अधिकांश ट्ूयूबवैलों ने तोड़ा दम-कई गांवों मेंग्रामीण निजी बोर संचालकों से खरीदकर पी रहे पानी- देखरेख के अभाव में नलजल योजना बंद पड़ी

<p>कोरोना संकट के बीच ग्रामीण अंचल में गहरा रहा जल संकट</p>
गुना. इन दिनों ग्रामीण दोहरे संकट से घिरे हुए हैं। एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण का संकट खड़ा है तो वहीं गर्मी बढऩे के साथ ही पेयजल संकट भी विकराल होता जा रहा है। इस समस्या के गंभीर होने की वजह प्रशासनिक व पंचायत स्तर पर बरती जा रही लापरवाही सामने आई है। जिसके कारण गांव वाले गंभीर पेयजल संकट के साथ-साथ आर्थिक परेशानी से भी घिरे हुए हैं। इस समय जहां पूरा प्रशासन कोरोना की रोकथाम में जुटा हुआ है। वहीं ग्रामीण अंचल के लोग पेयजल की व्यवस्था में लगे हुए हैं।
कोरोनाकाल में जल संकट का ताजा मामला बमोरी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत फतेहगढ़ का सामने आया है। जहां शासन ने कई साल पहले करोड़ों रुपए की लागत से नलजल योजना मंजूर कर दी। जिसका निर्माण भी हुआ लेकिन देखरेख के अभाव में इसका लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है। शुरूआती दौर में ग्रामीणों ने अपनी समस्या से पंचायत स्तर से लेकर तहसील व जिला स्तर के अधिकारियों को अगवत कराया। लेकिन किसी ने भी ग्रामीणों की इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया और न ही कोई वैकल्पिक इंतजाम किए गए। यही कारण है कि लगातार समस्या से परेशान होकर अधिकांश ग्रामीणों ने निजी बोर संचालकों से कनेक्शन ले लिए। जिसका उन्हें हर माह 100 से 500 रुपए तक शुल्क देना पड़ रहा है। ऐसे में वे ग्रामीण ज्यादा परेशान हो रहे हैं जो यह शुल्क देने में समक्ष नहीं हैं। वे प्रतिदिन करीब एक किमी का सफर तय कर पानी ढोकर लाने को मजबूर बने हुए हैं।
यहां बता दें कि करीब 5 हजार आबादी वाली ग्राम पंचायत के अधिकांश लोग बीते काफी समय से पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं। यह स्थिति तब है जब फतेहगढ़ में पेयजल के लिए दर्जनों बोरवेल पूर्व से लगे हुए हैं। लेकिन अधिकतर बंद हैं या फिर जलस्तर गिरने से पाइप की कमी के चलते पानी देना बंद कर दिया है।
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक फतेहगढ़ में एक दर्जन शासकीय बोरवेल में से 2 से 3 ही चालू की स्थिति में है। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी का सामना मजदूर वर्ग को करना पड़ रहा है। पेयजल व्यवस्था के लिए उन्हें घंटों इंतजार कर पानी भरना पड़ रहा है।
वर्षों से बन्द हैं फतेहगढ़ की नल जल योजना
शासन की मंजूरी के बाद फतेहगढ़ में नलजल योजना के तहत 50 हजार क्षमता वाले दो ओवर हैड टैंक बनाए गए थे। गांव में पेयजल सप्लाई लाइन भी बिछाई गई। जो वर्ष 2013 में सड़क निर्माण के समय खोद दी गई। जिसे बाद में ठीक नहीं किया गया। यही कारण है कि गांव के अधिकांश क्षेत्र में पेयजल सप्लाई बाधित हो गई। जिसे अब तक सुधारा नहीं जा सका है। गांव में एक ओवर हैड टैंक रोकडिय़ा बालाजी मंदिर के पास है तो वहीं दूसरा पठार मोहल्ला पर है। लेकिन वर्तमान में पेयजल सप्लाई दोनों से ही नहीं है।

सिंगल फेस मोटर डालने से हो सकती है परेशानी दूर
्रग्रामीणों ने बताया कि गांव में कुछ बोर व हैंडपंप ऐसे हैं जिनका पानी नीचे चला गया है। यदि इनमें सिंगल फेस मोटर डलवा दी जाए तो कुछ हद तक आसपास के लोगों की समस्या दूर हो सकती है। लेकिन इस ओर पंचायत प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।

फैक्ट फाइल
फतेहगढ़ पंचायत की कुल आबादी : 5 हजार
कुल ट्यूबवैल की संख्या : करीब एक दर्जन
चालू हालत में : दो से तीन
नलजल योजना की स्थिति : बंद
ओवर हैड टैंक की क्षमता : 50 हजार
आरोन में भी पानी के लिए भटक रहे है नगरवासी
सुबह 4 बजे से पानी भरने लगते हंै लाइन में
आरोन. नगर मेंं दिनों दिन पानी का संकट बढ़ रहा है। जिसका कारण घटता भू-जल स्तर है। नगर परिषद् इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है कि जनता को किस तरह से पेयजल उपलब्ध कराया जाए। नगर की अयोध्या बस्ती, सरस्वती कॉलोनी, जगदंबा कॉलोनी, पुरी कॉलोनी, रिजोदा रोड, गणेश्वरी मोहल्ला, मठ मोहल्ला, राम मंदिर गली, पुराना गल्ला मंडी रोड, नारायण कॉलोनी, गोंड मोहल्ला मेंं सबसे ज्यादा पानी की किल्लत है। यहां के लोग रात चार पांच बजे उठकर ही पानी की व्यवस्था में जुट जाते हंै। यह उनकी दिनचर्या में शामिल हो चुका है।
नगर वासियों का कहना है कि पेयजल संकट को लेकर शासन-प्रशासन मौन है। स्थानीय स्तर पर समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। जब भी कोई नागरिक पानी की समस्या लेकर जात है तो यह कह कर भगा दिया जाता है कि जलस्तर कम हो गया है। नगर के कुछ इलाकों में कृत्रिम जलसंकट शरारती तत्वों द्वारा पैदा किया जा रहा है। जो कभी ट्यूबवैल के तार काट जाते हैं तो कभी स्टार्टर व कंडेनसर निकाल देते हैं। इस मामले की शिकायत मोहल्लेवासी कई बार पुलिस से भी कर चुके हैं।
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