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गुना से राजस्थान को जोडऩे वाले मार्ग पर 5 साल बाद भी नहीं बन सका पुल

बारिश के सीजन में नदी चढऩे पर वाहन चालकों को पूरे दिन भर करना पड़ता है इंतजारवर्षों पुराना पुल हुआ क्षतिग्रस्त, सरिया भी बाहर निकल आएपुल के ऊपर से पानी बहने की स्थिति में वाहन चालकों को रहता है खतरा

गुनाAug 04, 2021 / 01:20 am

Narendra Kushwah

गुना से राजस्थान को जोडऩे वाले मार्ग पर 5 साल बाद भी नहीं बन सका पुल,गुना से राजस्थान को जोडऩे वाले मार्ग पर 5 साल बाद भी नहीं बन सका पुल

गुना. राघौगढ़ की साडा कॉलोनी से होकर राजस्थान को जोडऩे वाले नेशनल हाइवे पर पुल-पुलियाओं की हालत ठीक नहीं है। ग्राम बालाभेंट पर बने पुल को वर्षों गुजर चुके हैं। जिसका कई सालों से मेंटनेंस भी नहीं किया गया। जिसके कारण यह पुल बेहद क्षतिग्रस्त हालत में पहुंच चुका है। पुल के कई हिस्सों में गहरे गड्ढे व लोहे के सरिए बाहर निकल आए हैं। नदी चढऩे पर पुल के ऊपर से पानी बहने लगता है। ऐसे स्थिति में वाहन चालकों को न तो गड्ढे नजर आते हैं और न ही लोहे के सरिए। जो वाहन चालकों को गंभीर दुर्घटना का शिकार बना रहे हंै। पुल की यह हालत बीते पांच सालों से बनी हुई है। वाहन चालक लगातार परेशान हो रहे हैं लेकिन इस ओर न तो नेशनल हाइवे प्रबंधन ध्यान दे रहा है और न ही जिला प्रशासन व क्षेत्र के जनप्रतिनिधि। यही वजह है कि वाहन चालक लगातार सभी को कोस रहे हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
जानकारी के मुताबिक सरकार वाहन चालकों को सुविधाजनक मार्ग उपलब्ध कराने के नाम पर जगह-जगह टोल टैक्स के जरिए लाखों-करोड़ों रुपए वसूल कर रही है। लेकिन बदले में सुविधा देने की ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसका एक उदाहरण है ग्राम बालाभेंट पर बना वर्षों पुराना पुल। जिसकी नदी से बमुश्किल दो फीट ऊंचाई है। जिसके कारण नदी में थोड़ा सा ही जल स्तर बढऩे पर पुल के ऊपर पानी आ जाता है। जिससे वाहनों का निकलना बंद हो जाता है। यह परेशानी वाहन चालक पिछले कई सालों से झेल रहे हैं। लेकिन उनकी इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा।

पुल निर्माण इसलिए जरूरी है
ग्राम बालाभेंट पर बना पुल राघौगढ़ की साडा कॉलोनी से नेशनल हाइवे को जोड़ता है। क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर के तीन प्लांट हैं। इनमें यूरिया उत्पादन करने वाला एनएफएल, एलपीजी गैस बनाने वाला गेल तथा मोतीपुरा प्लांट हैं। इन तीनों प्लांटों से बड़ी संख्या में टैैंकर व ट्रक माल लेकर निकलते हैं। जिन्हें इसी रास्ते से जाना होता है। लेकिन नदी चढऩे पर यह वाहन नहीं निकल पाते हैं। वाहन चालकों ने बताया कि बारिश के सीजन में कई बार उन्हें पूरे दिन भर नदी उतरने का इंतजार करना पड़ता है। वहीं पुल बहुत अधिक पुराना है, जिसका मेंटनेंस न होने से इसकी हालत बेहद जर्जर हो चुकी है।

बालाभेंट पुल का रास्ता बंद तो 15 किमी का अतिरिक्त फेर
यह पुल कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यदि यह रास्ता नदी चढऩे पर बंद हो जाता है तो फिर वाहनों को 15 किमी का अतिरिक्त फेर लगाकर रुठियाई के रास्ते से जाना पड़ता है। इस रास्ते से होकर जाने में वाहन चालकों को कई तरह के नुकसान हैं। पहला अरिरिक्त चक्कर लगाने केे कारण ईंधन खर्च बढऩा तथा समय की बर्बादी। दूसरी परेशानी टोल भी देना पड़ेगा। तीसरी सबसे बड़ी परेशानी इस रास्ते में रुठियाई पर रेलवे फाटक पड़ता है। इसलिए ट्रेन निकलने तक फाटक खुलने का इंतजार ही करना पड़ेगा।

5 साल पहले सड़क बनाई, पुल को किया अनदेखा
स्थानीय नागरिकों के मुताबिक साडा कालोनी से नेशनल हाइवे को जोडऩे वाला यह मार्ग टू-लेन है। जिसकी सड़क पांच साल पहले बनाई गई थी। उस दौरान लगा कि सड़क बनने के बाद पुल का निर्माण भी होगा। लेकिन यह इंतजार करते-करते पांच साल निकल गए। आज तक इस पुल का निर्माण तो क्या नाम मात्र का मेंटनेंस तक नहीं किया गया। जबकि इस पुल के ऊपर से सबसे ज्यादा भारी वाहन गुजरते हैं। तीन बड़ी फैक्ट्रियों के ट्रक व टैंकर बड़ी संख्या में यहां से निकलते हैं इसके बावजूद कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा।

100 गांव के लोगों को जोडऩे वाले पुल की हालत भी खराब
जिले से होकर कई नदियां निकली हैं। जो यहां के लोगों के लाभदायक तो हैं ही लेकिन बारिश के मौसम में परेशानी भी बढ़ा देती हैं। यह परेशानी प्रशानिक उदासीनता के कारण और ज्यादा बढ़ गई है। क्योंकि नदियों के रास्ते में जो पुल-पुलिया बनाए गए हैं, एक तो उनकी ऊंचाई काफी कम रखी गई है। जिससे नदी में थोड़ा ही जल स्तर बढऩे पर पुल के ऊपर से पानी जाने लगता है। वहीं दूसरी समस्या इन पुल-पुलियों की समय-समय पर मरम्मत न किया जाना है। जिले की बमोरी विधानसभा अंतर्गत हमीरपुर से गुगेर माता की ओर जाने वाले रास्ते में पुल बेहद क्षतिग्रस्त हालत में है। खास बात यह है कि यह पुल आसपास के करीब 100 गांवों को जोड़ता है। साथ ही इस रोड से राजस्थान-एमपी बॉर्डर भी लगा हुआ है। इसी तरह झागर, भौंरा, मगरौड़ा तथा बरसाती गांव जाने वाले मार्ग पर कई सालों से पुल-पुलियाओं का निर्माण नहीं कराया गया है। यहां जो पुल बने हैं वह दशकों पुराने हैं। जिनकी हालत वर्तमान में डेंजर जोन में बनी हुई है।

रेलवे अंडर ब्रिज, बरसात में निकलने लायक नहीं
शहर सहित जिले भर में आधा दर्जन से अधिक रेलवे अंडर ब्रिज हैं। इनमें से एक भी हालत ऐेसी नहीं है कि बारिश के मौसम ेंमें बिना किसी असुविधा के वाहन चालक निकल सकें। शहर के बांसखेड़ी अंडर ब्रिज में जल भराव की समस्या लइलाज हो चुकी है। रेलवे और नगरीय निकाय की लड़ाई में आम जनता ***** रही है। गौर करने वाली बात है कि इस अंडर ब्रिज में बारिश के मौसम में ही नहीं गर्मी में तक पानी भरा रहता है। क्योंकि जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है। इसी तरह ग्राम सगोरिया व मावन पर बने अंडर ब्रिज की हालत है। यहां पुल के दोनों ओर सड़क की हालत भी बेहद खराब है। इन दिनों पानी भरने से गहरे गड्ढे छुप गए हैं जो वाहन चालकों को गंभीर दुर्घटना का शिकार बना रहे हैं।

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