सऊदी अरब में महिला कार्यकर्ता का सिर कलम करने की तैयारी, पहली बार दी जाएगी ऐसी सजा

पिछले महीने ही सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने इसरा और 5 अन्य अभियुक्तों का सिर कलम करने की मांग की थी।

<p>सऊदी अरब में महिला कार्यकर्ता का सिर कलम करने की तैयारी, पहली बार दी जाएगी ऐसी सजा</p>
रियाद। सऊदी अरब में पहली बार एक महिला को उसका सिर कलम कर मौत की सजा दी जाएगी। कनाडा के साथ चल रहे रिश्तों में गतिरोध के बीच सऊदी अरब महिला ऐक्टिविस्ट को सजा ए मौत देने की तैयारी कर रहा है। इस महिला ऐक्टिविस्ट का सिर काटकर उसे मौत की सजा दी जाएगी। 29 साल की इस महिला पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों को बढ़ावा देने का आरोप है।
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क्या है मामला

इसरा अल-घोमघम नाम की महिला को उसके पति मूसा अल-हाशीम के साथ दिसंबर 2015 में गिरफ्तार किया गया था। इन दोनों पर सऊदी अरब के पूर्वी प्रांत कातिफ में सरकार विरोधी प्रदर्शन को आयोजित करने और बढ़ावा देने का आरोप था। रियाद की विशेष आपराधिक अदालत ने इस्रा और इस मामले से जुड़े 5 अन्य अभियुक्तों को मौत की सजा दी है। बता दें कि पिछले महीने ही सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने इसरा और 5 अन्य अभियुक्तों का सिर कलम करने की मांग की थी।
यूरोपीयन सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स का कहना है कि घोघनम को राजनीतिक कैदियों की रिहाई और सरकार के शिया विरोधी भेदभाव का विरोध करने के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था।सऊदी सरकार के अधिकारियों ने मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। गल्फ मीडिया और सोशल मीडिया पर उनकी मौत की सजा देने की खबरों के फैलने के बाद दुनिया का ध्यान इस मामले पर गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी सऊदी अरब में मई से महिला कार्यकर्ताओं पर हो रही कार्रवाई की आलोचना की है।
फैसले के खिलाफ अपील

मानवाधिकार कार्यकर्ता इस फैसले के खिलाफ अपील कर चुके हैं, जिस पर फैसला अक्टूबर तक आने की संभावना है। अगर आरोपियों को अदालत से राहत नहीं मिली तो फिर उनको सजा ए मौत मिलना तय है।
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सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ने जताई नाराजगी

यूरोपीयन सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स के निदेशक अली अदुबिसी ने एक बयान में कहा कि घोमघम की तुरंत रिहाई की जाय। अली अदुबिसी का आरोप है कि घोमघम को बीते 3 साल से कैद रखा गया है और इस दौरान उन्हें वकील तक करने का अधिकार नहीं मिला। यूरोपीयन सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स का कहना है कि घोमघम को सजा ए मौत देना एक रूढ़िवादी देश में महिला कार्यकर्ताओं के जीवन पर संकट का उदाहरण है।
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