Iran के खिलाफ साथ आए खाड़ी देश, संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को आगे बढ़ाने की वकालत की

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ईरान (Iran) पर लगे ये प्रतिबंध दो महीने में समाप्त होने वाले हैं, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) ने लिखा पत्र।
इस प्रतिबंध की वजह से ईरान विदेश में निर्मित युद्धक विमान, टैंक और हथियारो को नहीं खरीद सकेगा।

<p>ईरान के खिलाफ खड़े हुए छह खाड़ी देश।</p>
दुबई। ईरान (Iran) के खिलाफ खाड़ी के छह देश खड़े हो गए हैं। सऊदी अरब (Saudi Arab) समेत ये देश अपने आंतरिक कलहों को छोड़कर ईरान पर हथियारों को लेकर लगे संयुक्त राष्ट्र (UN) के प्रतिबंधों को आगे बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं। गौरतलब है कि ईरान पर लगे ये प्रतिबंध दो महीने में समाप्त होने वाले हैं। खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के अनुसार उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पत्र लिखकर इस समर्थन के लिए अवगत कराया है।
इस प्रतिबंध की वजह से ईरान विदेश में निर्मित युद्धक विमान( Fighter Plane) ,टैंक और हथियारो को नहीं खरीद सकेगा। खाड़ी सहयोग परिषद में छह देश बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। परिषद का आरोप है कि ईरान लगातार पड़ोसी देशों के मामलों में दखल देना बंद नहीं किया है। इस काम में कुछ संगठन ईरान की मदद कर रहे हैं। ईरान उन्हें हथियार मुहैया करा रहा है। इन देशों का कहना है कि ऐसे संगठन ईरान की ओर से प्रशिक्षित किए गए होते हैं।
सऊदी अरब का यमन में हूती विद्रोहियों के साथ युद्ध जारी है। संयुक्त राष्ट्र का हूती विद्रोहियों के बारे में कहना है कि उसे हथियारों की आपूर्ति ईरान से होती रही है। हालांकि ईरान हूतियों को हथियार और जरूरी चीजें मुहैया कराने से हमेशा इनकार करता रहता है।
जीसीसी पर भड़का ईरान

जीसीसी के अनुसार जब तक ईरान अपनी गतिविधियों को नहीं छोड़ता है तब तक उस पर से प्रतिबंध हटाना अनुचित होगा। दरअसल ईरान आतंकी और विभाजनकारी संगठनों को हथियार मुहैया करता है ताकि क्षेत्र में अस्थिरता बनी रहे। ईरान के सरकारी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मूसावी ने जीसीसी के इस पत्र की निंदा की है। उसके बयान को ‘गैरजिम्मेदाराना’ बताया है।
मूसावी ने खाड़ी अरब देशों की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि ये सभी देश दुनियाभर में अधिक हथियारों की खरीद करने वाले देश हैं। 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उस पर विदेशों से हथियार खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस फैसले के बाद से खाड़ी में तनाव बढ़ गया है।
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