सभी किसानों को मिलेगा लाभ मुख्यमंत्री की पहल पर करीब 71 लाख रुपये एकड़ प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा देने पर सहमति बनी थी लेकिन एक बार अवार्ड होने के बाद प्रशासन की ओर से मुआवजे की दर परिवर्तित नहीं की जा सकती थी। इससे मजबूर होकर करीब 70 किसानों ने जिला न्यायालय की शरण ली। कुछ दिन पहले जिला जज ने किसानों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ब्याज व अन्य देयकों के साथ भुगतान करने का आदेश दिया। यह करीब 71 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर आएगा। जिला जज के इस फैसले का लाभ सभी किसानों को मिलेगा। जिन किसानों की ओर से याचिका दायर की गई थी, उनके मुआवजे की शेष रकम न्यायालय में जमा करनी होगी। जो किसान याचिकाकर्ता नहीं थे उन्हें इस आदेश की प्रति के साथ भू- अधिग्रहण की धारा 28 ए के तहत भूमि अध्याप्ति अधिकारी के यहां बढ़े मुआवजे के लिए आवेदन करना होगा। इसी आधार पर उन्हें भुगतान दिया जाएगा।
प्रस्ताव पास होने के बाद दिया जाएगा मुआवजा मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने 2017 में एक कमेटी का गठन करने का निर्देश दिया था। इस कमेटी ने ही करीब 71 लाख रुपये देने का सुझाव दिया था। अब न्यायालय का अपने पक्ष में फैसला आने के बाद किसानों ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया है। मानबेला किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष बरकत अली ने कहा कि मुख्यमंत्री शुरू से किसानों की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। अब बढ़ा मुआवजा मिलने का रास्ता साफ हो गया है। किसानों को यह मुआवजा प्रस्ताव पास होने के बाद दिया जाएगा। जीडीए प्राधिकरण के सचिव राम सिंह गौतम के अनुसार विधिक राय मिलने के बाद इस प्रस्ताव को बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा। बोर्ड के निर्णय के अनुसार आगे की कार्यवाही की जाएगी।
क्या है जमीन अवार्ड का अर्थ किसी भी योजना के लिए अगर प्रशासन और किसानों के बीच करार की सहमति नहीं होती है, तब जिला प्रशासन संबंधित योजना को भूमि लेने के लिए अवार्ड घोषित करा देता है। ऐसा होने पर शासन अपनी व्यवस्थानुसार भूमि के रेट घोषित देता है। ऐसे में अगर किसान मुआवजा नहीं लेता है तो कोर्ट में जमा करा दिया जाता है और जमीन का अर्जन कर लिया जाता है।