बीपीओ के पास अपने क्षेत्र के संभ्रांत लोगों के साथ क्रिमनल्स का पूरा रिकॉर्ड होगा। बदमाशों पर उनकी पैनी नजर रहेगी। इसके अलावा इलाके में होने वाले जुआ, शराब और अन्य छोटे-छोटे अपराधों की पूरी सूचना भी बीपीओ को बीट बुक में नोट करनी होगी। बीपीओ के पास इलाके के लेखपाल सहित अन्य राजस्व व ब्लॉककर्मियों के मोबाइल नंबर भी होंगे। इनको सरकारी बाइक, एंड्राइड मोबाइल, रिवॉल्वर, बॉडी बार्म कैमरा के अलावा एक बस्ता दिए जाएगा। बस्ते में क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटर अपराधियों के रिकॉर्ड, कोर्ट समन, वारंट, एनसीआर के मुकदमे, थाने से आए शिकायती प्रार्थना पत्र, पासपोर्ट व चरित्र सत्यापन की जांच संबंधी प्रपत्र रहेंगे। बीते वर्ष पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गोरखपुर जिले के शहर और देहात के एक-एक थानों में यह व्यवस्था शुरू की गई थी। अब फिर एक बार बीट पुलिसिंग को सक्रिय करने की योजना है।
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यहां पहले से लागू है बीट व्यवस्था
उत्तर प्रदेश में बीट व्यवस्था पहले से लागू है। पहले एक बीट पर तैनात पुलिसवाले के पास पांच-छह गांव की जिम्मेदारी होती थी। अब दो गांवों के हिसाब से बंटवारा कर बीपीओ बनाया जा रहा है। आबादी और चौकी/हल्का में पुलिसकर्मियों की संख्या के आधार पर बीपीओ को जिम्मेदारी दी जाएगी। अधिकतम एक बीपीओ के पास 5500 लोगों की जिम्मेदारी हो, ऐसी नई व्यवस्था तैयार की जा रही है।
उपद्रवियों को 107/16 में पाबंद कर सकेंगे बीट अफसर
गोरखपुर के एडीजी जोन अखिल कुमार ने बीट सिपाही का अधिकार बढ़ाने के साथ उनकी जिम्मेदारी तय करने के निर्देश जिले के कप्तानों को दिए हैं। बीट सिपाही के पास अधिकार होगा कि वह अपने क्षेत्र के उपद्रवियों को 107/16 में पाबंद कर निरोधात्मक कार्रवाई कर सकेंगे। इसके साथ प्रार्थना पत्र पर वह क्षेत्र में जाकर आख्या रिपोर्ट देंगे, जिसके बाद दारोगा और थानेदार आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
गोरखपुर के एडीजी जोन अखिल कुमार ने बीट सिपाही का अधिकार बढ़ाने के साथ उनकी जिम्मेदारी तय करने के निर्देश जिले के कप्तानों को दिए हैं। बीट सिपाही के पास अधिकार होगा कि वह अपने क्षेत्र के उपद्रवियों को 107/16 में पाबंद कर निरोधात्मक कार्रवाई कर सकेंगे। इसके साथ प्रार्थना पत्र पर वह क्षेत्र में जाकर आख्या रिपोर्ट देंगे, जिसके बाद दारोगा और थानेदार आवश्यक कार्रवाई करेंगे।