सुशांत मामले में नीतीश कुमार ने महाराष्ट्र CM को दी मात, इस तरह चुनावी लाभ उठाने की तैयारी

कहा जाता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारतीय राजनीति के ऐसे ‘चाणक्य’ हैं जो कभी भी कोई दांव खेलने से घबराते नहीं (How Nitish Kumar Can Take Advantage Of Suhsant Singh Case In Election) (Bihar News) (Bihar Election 2020) (Bihar CM Nitish Kumar) (Sushant Singh Suicide Case Update)…
 

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प्रियरंजन भारती…

पटना,गोपालगंज: बिहार के मुख्यमंत्री राजनीति के मंझे खिलाड़ी हैं और सुशांत मामले में महाराष्ट्र सरकार की चालबाजी को सलीके से मात देकर उन्होंने यह साबित भी कर दिखाया। चुनावी माहौल में ना ना कहते हुए भी नीतीश इसका भरपूर लाभ उठाने में पीछे नहीं रहने वाले।

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कहा जाता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारतीय राजनीति के ऐसे ‘चाणक्य’ हैं जो कभी भी कोई दांव खेलने से घबराते नहीं। सुशांत सिंह राजपूत मौत का केस भी एक ऐसा ही मामला है, जब एक बार फिर सीएम नीतीश ने यह साबित किया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे उनकी सियासी सोच के सामने अभी काफी नौसीखिए हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुशांत मौत केस सीबीआई को सौंपे जाने को सीएम नीतीश भले ही सियासत से जोड़कर नहीं देखने की बात कहते हैं, लेकिन उनकी रणनीति ये साबित करती है कि इस मामले में उनकी सियासत काफी गहरी है।

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत केस सीबीआई को सौंपते हुए साफ कहा कि बिहार की राजधानी पटना में पिता केके सिंह द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर सही है, जाहिर है इस फैसले से नीतीश सरकार का स्टैंड सही साबित हुआ और तमाम राजनीतिक सवालों पर भी एक तरह से विराम लग गया।

गौरतलब है कि इस मामले को लेकर बीते दो महीने से अधिक वक्त से सियासत जारी है। यह तब और तेज हो गई जब सुशांत के पिता केके सिंह ने 28 जुलाई को पटना में प्राथमिकी दर्ज करवाई। इसके बाद 29 जुलाई को जब पटना पुलिस अनुसंधान के लिए मुंबई गई तो महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पर आरोप लगे कि उसने लगातार जांच में बाधा पहुंचाई। यहां तक कि मुंबई पुलिस भी अपना कर्तव्य भूल बैठी और बिहार पुलिस का कोई सहयोग नहीं किया।

कहा जाने लगा कि बिहार पुलिस ने एक हफ्ते में ही इतनी तफ्तीश कर ली जिससे इस मामले का महाराष्ट्र की सियासत से कनेक्शन भी सामने आने लगा, जाहिर है मामला गर्म हो उठा और शिवसेना की ओर से पहले बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे, फिर सीएम नीतीश कुमार को ही टारगेट किया जाने लगा। इस बीच जब बिहार के आइपीएस अधिकारी विनय कुमार इस मामले की गहराई से जांच के लिए 3 अगस्त को मुंबई भेजे गए तो उन्हें बीएमसी ने क्वारंटाइन कर दिया।

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इस घटना के बाद जहां महाराष्ट्र सरकार की खासी किरकिरी हुई, वहीं उद्धव सरकार का इस बात पर अड़ जाना कि जांच मुंबई पुलिस ही करेगी, इससे बिहार के पुलिस अधिकारियों ने अपनी आन पर ले लिया। इसके बाद बिहार के डीजीपी पर शिवसेना सांसद संजय राउत के राजनीतिक बयान ने आग में घी का काम कर दिया। इसी बीच आरोपी रिया चक्रवर्ती ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में सुशांत मौत की बिहार पुलिस द्वारा जांच प्रकरण को बिहार चुनाव से जोड़ दिया और आरोप लगाया कि इस मामले में एक राज्य के मुख्यमंत्री इंट्रेस्ट ले रहे हैं।

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रिया ने अपने हलफनामे में लिखा था कि मेरे खिलाफ मीडिया ट्रायल चल रहा है। पिछले कुछ समय में दूसरे अभिनेताओं ने भी आत्महत्या की, लेकिन सुशांत के केस को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जा रहा है। इसकी वजह बिहार चुनाव है। बिहार के मुख्यमंत्री ने खुद एफआईआर दर्ज होने में दिलचस्पी दिखाई। कहा गया कि यह सब शिवसेना सरकार की शह पर ही रिया ने कहा है। जाहिर है इसके बाद तो बिहार की सियासत में भी उबाल आ गया और सभी राजनीतिक दल सीबीआई जांच की मांग और जोर से करने लगे।

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बिहारी जनता के जज्बात से जुड़ा है मुद्दा…

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यही वो मौका था जब सीएम नीतीश ने सहानुभूति का सियासी ‘छक्का’ लगा दिया और 4 अगस्त को केस सीबीआई को ट्रांसफर करने की सिफारिश कर दी। यही नहीं पहले से उद्धव ठाकरे से खफा मानी जा रही केंद्र की सरकार ने भी अपना बड़ा दांव चल दिया और 5 अगस्त को सीबीआई जांच की बिहार सरकार की सिफारिश मंजूर कर ली। जाहिर है यह सीएम नीतीश का बड़ा सियासी दांव भी है जो बिहार के जनमानस के सेंटिमेंट से सीधा जुड़ता है। आने वाले दिनों में बिहार विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं.चुनाव में यह सेंटिमेंट उभरेगा ही। इसका भरपूर लाभ उठाने कु तैयारी और इंतजाम जदयू भाजपा ने पूरे कर लिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नीस को चुनाव प्रभारी बनाकर भाजपा नेतृत्व ने पहले ही इस सेंटिमेंट का लाभ उठाने की तैयारी कर ली है।

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