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पत्रिका टीम ने जब इसकी गहनता से पड़ताल की तो पता चला कि जो 10 किलो का आटा पहले ₹280 का मिलता था, अब वह ₹400 रुपये में बेचा जा रहा है। वहीं चीनी पहले 38 रुपए किलो मिलती थी वह अब ₹40 किलो मिल रही है। रिफाइंड 1 किलो पहले ₹90 का मिलता था, वह अब ₹120 का थोक में मिल रहा है। नवरात्रि पर भी पड़ा लॉकडाउन का असर उधर, बुधवार से नवरात्र शुरू हो गए हैं। नवरात्र पर सामान बेचने वाले भी लॉकडाउन का पूरा लाभ उठा रहे हैं। क्योंकि जो पान का पत्ता एक रुपए का आता था, वह अब ₹8 का उपलब्ध हो रहा है। जो फूल माला ₹10 की आती थी, वह ₹20 में उपलब्ध हो रही है और जो नारियल पहले ₹30 का उपलब्ध हो रहा था वह अब ₹50 में उपलब्ध हो रहा है। इस सामान को बेचने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें थोक रेट में ही महंगा मिला है। जिसके कारण उन्हें भी महंगे दामों में बेचना पड़ रहा है। यानी नवरात्र के व्रत में भी लॉक डाउन की मार साफ तौर पर दिखाई दे रही है।
यह भी पढ़ें: मेरठ के 20 से ज्यादा गांवों में कोरोना का खौफ, खाड़ी देशों में नौकरी करके लौटे थे युवक इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए गाजियाबाद के सिटी मजिस्ट्रेट शिव प्रताप शुक्ल ने बताया कि वह खुद लगातार बाजार में भ्रमण कर रहे हैं और कोई भी कालाबाजारी ना कर पाए, इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि कुछ दुकानदार इस तरह की बात बता रहे हैं तो वह एकदम झूठ बोल रहे हैं। क्योंकि वह खुद लगातार इस बात की पड़ताल करने में जुटे हुए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि यदि कोई भी दुकानदार किसी भी तरह की कालाबाजारी करता है तो तत्काल प्रभाव से प्रशासनिक अधिकारियों को सूचित किया जाए। उस कालाबाजारी करने वाले दुकानदार के खिलाफ तत्काल प्रभाव से कानूनी कार्रवाई की जाएगी। खाने-पीने यानी राशन,मेडिकल स्टोर,दूध की दुकान और अन्य बहुत जरूरत वाले सामान की दुकानें खुली हैं। इसलिए ज्यादा स्टॉक इकट्ठा करने की आवश्यकता नहीं है।