दरअसल, गाजियाबाद के विधायक एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग के चचेरे भाई श्याम गर्ग ने अतुल गर्ग पर पैतृक संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया है। श्याम गर्ग का कहना है कि उनकी 100 बीघा जमीन पसोंडा में मौजूद थी। जिसमें पूरा परिवार हिस्सेदार है। इस जमीन का कोई बंटवारा नहीं हुआ है। इनके पिताजी की मृत्यु हो गई थी और उसके बाद फर्जी मुख्तारनामा कर आपस में ही वह जमीनअपने नाम कर ली गई। उन्होंने आरोप लगाया कि कई बार इस बारे में स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग से मिलने का प्रयास किया तो उन्होंने मिलने से ही इनकार कर दिया और शुरू में उन्होंने बोला कि यह परिवार का मामला है। इससे परिवार की बदनामी होती है और वह शांत हो जाएं।
श्याम गर्ग ने बताया कि 2017 में भी अपनी संपत्ति लेने के लिए इन पर एक केस दायर किया था। जिसमें परिवार के सभी लोगों ने बैठकर समझौता कराया। लेकिन अभी तक पसोंडा वाली जमीन का कोई बंटवारा नहीं हुआ और उन्हें हिस्सा नहीं मिला है। इसके लिए उन्होंने कई बार स्थानीय पुलिस से भी शिकायत की है। लेकिन पावर में होने के नाते पुलिस में भी उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई। इसके अलावा उन्होंने जनसुनवाई पर भी इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई। जिससे वह बेहद आहत हैं। तो अब उन्होंने परेशान होकर 11 सितंबर को पीएमओ को एक पत्र लिखा है। श्याम गर्ग ने पीएमओ को लिखे गए पत्र में अपनी जान को खतरा बताया है और अब उनका कहना है कि यदि जल्द ही इनकी बात पर सुनवाई नहीं की गई। तो वह अपने परिवार के साथ आत्महत्या करने को मजबूर होंगे और जिसके जिम्मेदार सीधे-सीधे सभी घर के सदस्य, शासन, प्रशासन के संबंधित अधिकारी एवं खुद स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग भी होंगे।
उधर इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए श्याम गर्ग के अधिवक्ता विजय राठी ने बताया कि इस पूरे परिवार की संपत्ति की झगड़े की जड़ मुख्तारनामा है। जो कि 1993 में हुआ था। आरोप है कि उसमें इनके फर्जी हस्ताक्षर और अंगूठा लगाकर संपत्ति को आगे बेच दिया गया और सभी अन्य लोगों ने वह हिस्सा बांट लिया। अधिवक्ता विजय राठी ने कहा कि इस सभी आरोपों की सीबीआई जांच होनी चाहिए। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।
वहीं दूसरी तरफ इस पूरे मामले को लेकर गाजियाबाद के विधायक और स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग का कहना है कि उनके पिताजी सात भाई थे। जिनका करीब 40 साल पहले बंटवारा हुआ था। जिसमें कोई विवाद नहीं है। उनके चाचा नरेश चंद्र गर्ग चौथे नम्बर के थे। उनके भी चार लड़के और एक लड़की है। जिनका बंटवारा 20 साल पहले हो चुका है और कोई विवाद नहीं है। जिन्होंने आज उन पर आरोप लगाया है इन्होंने 6 साल पहले किन्हीं कारणवश अपनी संपत्ति को बेच दिया था और इनकी माली हालत खराब होती चली गई। इतना ही नहीं उनकी देखरेख और खाने का खर्चा इनका छोटा भाई आलोक गर्ग और इनकी चाची ही वहन करती है। उनके ऊपर जो उनके चचेरे भाई श्याम गर्ग द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं वह सभी बेबुनियाद हैं और यदि उन्होंने पीएमओ को पत्र लिखा है। तो निश्चित तौर पर उनकी छवि धूमिल करने का कार्य किया गया है। वह खुद चाहते हैं कि सरकार इस पूरे मामले को लेकर एक समिति गठित कर गहनता से जांच करा ली जाए।