हरियाणा से पैदल चलकर आए थे गांव
कोरोनाबंदी में जब काम बंद हो गए तो देश भर के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में बिहारी कामगार पैदल चलकर अपने गांव घर लौटे थे। मालिकों ने जब हाथ खींच लिए और पास में जमा पैसे भी एक एक कर खत्म हो गए तो इन लाचार लोगों के सामने घर लौटने के सिवा कोई विकल्प शेष नहीं रह गया था। आवागमन के साधन नहीं मिलने पर लाखों की संख्या में रास्तों की परेशानियों की परवाह किए बिना ये लोग पैदल चलकर अपने गांव पहुंचे। यह सिलसिला लॉकडाउन के दरमियान कई दिनों तक चलता रहा। बक्सर जिले के मठिला गांव के भी सौ से अधिक श्रमिक पैदल चलकर घर पहुंचे थे। रास्ते में इन सभी ने अनेक परेशानियां हंस हंसकर झेल ली थीं।
फैक्ट्री मालिक आए थे गांव तो जाने से मना किया
हरियाणा के पानीपत धागा फैक्ट्री के मालिक कामगारों को काम पर वापस ले जाने के लिए मिला बक्सर जिले के महिला गांव आए तो कामगारों ने जाने से साफ मना कर दिया। इन्हें लॉकडाउन का वेतन और अब डबल सैलरी देने के प्रलोभन भी दिए। मगर लॉकडाउन में अपने हाल पर जीने के लिए छोड़ देने वाले फैक्ट्री मालिक की इन्होंने एक भी नहीं सुनी। मान मनौव्वल सब बेकार कामगारों ने फैक्ट्री मालिक के आगे जमकर नारेबाजी की,’नून रोटी खाएंगे, वापस नहीं जाएंगे।’ श्रमिकों के हठ के आगे मालिक की एक भी नहीं चली। अन्ततः उन्हें बैरंग वापस लौट जाना पड़ गया।