सुखविंदर ने ही दिया था पहला मौका
भूटिया ने कहा कि वह इस बात से काफी खुश हैं कि उन्होंने इस अवॉर्ड को जीता है। भूटिया ने कहा कि सुखी सर इस पुरस्कार के हकदार हैं। वह उन्हें बधाई देते हैं। उन्हें भारतीय कप्तान के रूप में पहला मैच खेलने का मौका उन्होंने ही दिया था। इसके लिए वह उनके हमेशा शुक्रगुजार रहेंगे।
रेनेडी सिंह ने भी की तारीफ
सुखविंदर सिंह के कोच रहते भारतीय सीनियर फुटबॉल टीम में डेब्यू करने वाले रेनेडी सिंह ने कहा कि वह भारत के सबसे सफल कोचों में से एक हैं। रेनेडी ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि जब उन्होंने राष्ट्रीय टीम में डेब्यू किया था, तब सुखविंदर सर ही कोच थे। उन्होंने टीम के प्रदर्शन को पूरी तरह बदल कर रख दिया था। उस समय हम मलेशिया जैसी कमजोर टीमों से भी हार जाया करते थे, लेकिन उनके निर्देशन में यूएई और उजबेकिस्तान जैसी मजबूत टीमों को कड़ी चुनौती देने लगे।
सुखविंदर की यह रहीं उपलब्धियां
सुखविंदर सिंह के कोच रहते भारत 2002 फीफा विश्व कप क्वालिफायर्स में एक अंक से क्वालिफाई करने से चूक गया था। वह 36 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत के कोच रहे और उनकी कामयाबी का प्रतिशत 47.22 का रहा। अब उन्हें 29 अगस्त को ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। उनके कोच रहते भारत ने 1999 और 2009 में सैफ कप जीता था। इसके अलावा 1999 दक्षिण एशियाई खेलों में भी कांस्य पदक हासिल किया था।