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कितना आ सकता है बोझ?
मीडिया के रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी का कहना है कि मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए बैंक पूरी तरह से तैयार है। सरकार की ओर से कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। 2 करोड़ रुपए से कम लोन पर ब्याज पर ब्याज ना लेने का नुकसान सरकार पहले की उठा चुकी है। वहीं नए फैसले के बाद बैंकों पर 7 से 10 हजार करोड़ रुपए का बोझ बढ़ सकता है। जिसकी वजह से बैंक और सरकार दोनों के माथे पर बल साफ देखें जा सकते हैं।
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किसके सिर पर आएगा बोझ?
सरकार की ओर से अधिकारियों का कहना है कि कोर्ट की ओर से ऐसा नहीं निर्देश नहीं है कि यह बोझ सरकार को वहन करना है। वहीं बैंकों को भी ऐसा कोई निर्देश नहीं है कि ब्याज पर ब्याज के तहत वसूला गया रुपया कब तक देना है। ऐसे में वो टुकड़ों-टुकड़ों में भी पेमेंट कर सकते हैं। अधिकारी के अनुसार इस मामले में जल्द फैसला लिया जाएगा। आईसीआरए के अनुमान के अनुसार सभी कर्जदारों को 6 महीने की मोरेटोरियम अवधि के दौरान चक्रवृद्धि ब्याज करीब 13,500 से 14,000 करोड़ रुपए है और सरकार 2 करोड़ रुपए तक के लोन पर राहत दे चुकी है। इससे सरकारी खजाने पर 6,500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ा है।