टैक्स सेविंग एफडी के साइलेंट फीचर्स
1) कर-बचत सावधि जमा पांच साल की लॉक-इन अवधि के साथ आती है, जिसके पहले आप अपना पैसा नहीं निकाल सकते।
2) केवल निवासी व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार इन जमाओं को खोल सकते हैं।
3) टैक्स-सेविंग एफडी एकल या संयुक्त नामों में खोले जा सकते हैं। संयुक्त होल्डिंग के मामले में, केवल पहला धारक धारा 80 सी के तहत कर लाभ का दावा कर सकता है।
4) कोई भी इन एफडी पर मासिक / त्रैमासिक / वार्षिक ब्याज भुगतान विकल्प चुन सकता है। आप कंपाउंडिंग विकल्प भी चुन सकते हैं जिसमें अर्जित ब्याज को फिर से निवेश किया जाएगा।
5) कर-बचत सावधि जमा पर अर्जित ब्याज कर योग्य है। ब्याज राशि आपकी वार्षिक आय में जुड़ जाती है और आपके आयकर स्लैब के अनुसार कर योग्य होगी। देय ब्याज की गणना केवल तिमाही आधार पर की जाती है।
6) बैंक इन एफडी पर अर्जित वार्षिक ब्याज पर 10त्न की दर से टीडीएस (स्रोत पर कर-कटौती योग्य) काटते हैं। यदि आपको कर चुकाने की छूट है, तो आपको बैंक के साथ वित्तीय वर्ष की शुरुआत में फॉर्म 15त्र / ॥ जमा करना होगा।
7) सहकारी बैंकों और ग्रामीण बैंकों को छोड़कर किसी भी सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के बैंकों के माध्यम से कर-बचत एफडी खोले जा सकते हैं।
8) पोस्ट ऑफिस की 5 साल की जमा राशि भी धारा 80 सी के तहत कटौती के लिए योग्य है।
9) आप न तो समय से पहले निकासी कर सकते हैं और न ही कर-बचत सावधि जमा के विरुद्ध ऋण ले सकते हैं।
10) इन जमाओं पर दी जाने वाली ब्याज दरें बैंकों में अलग-अलग होती हैं। जबकि भारतीय स्टेट बैंक जैसे बड़े बैंक टैक्स-बचत जमा पर सबसे कम दर की पेशकश करते हैं, निजी क्षेत्र के कुछ छोटे बैंक इन जमाओं पर आकर्षक दरों की पेशकश करते हैं।
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किन बैंकों में एफडी पर मिल रहा है कितना ब्याज