दरअसल पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम तथा भारत पेट्रोलियम के वितरकों को यह बीमा कराना पड़ता है। इन लोगों को ग्राहकों और अन्य प्रॉपर्टीज के लिए थर्ड पार्टी बीमा कवर सहित दुर्घटनाओं के लिए बीमा पॉलिसी लेना होता है।
हादसा होने की सूरत में पीडित को एक महीने के अंदर इस दुर्घटना की सूचना वितरक और कंपनी को करनी होती है। सूचना दिये जाने के बाद संबंधित अधिकारी इस पूरी घचना की जांच करता है और अगर हादसा गैस सिलेंडर की वजह से हुआ है तो उस सूरत में पीड़ित को क्लेम दिया जाता है। बीमा रकम का दावा करने के लिए एफआईआर की कॉपी, घायलों के इलाज के खर्च का बिल और किसी की मृत्यु होने पर उसकी रिपोर्ट संभालकर रखनी चाहिए।