80 रुपए उधार लेकर शुरू किया था लिज्जत पापड़ बनाने का काम, आज हैं सफल बिजनेस वुमेन

Successful story of Lijjat Papad: घर खर्च के लिए पैसे जुटाने के मकसद से शुरू किया था पापड़ बनाने का काम
7 सहेलियों ने मिलकर खड़ा किया बिजनेस, आज है जाना माना ब्रांड

<p> successful story of Lijjat Papad</p>
नई दिल्ली। कहते हैं जहां चाह है, वहीं राह भी होती है। इसी कहावत को सच कर दिखाया है मुंबई निवासी जसवंती बेन (Jaswanti Ben) ने। बिजनेस की एबीसीडी से अंजान जसवंती हमेशा से कुछ ऐसा करना चाहती थीं, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सके। इसी मकसद से उन्होंने अपनी 6 सहेलियों के साथ मिलकर पापड़ बनाने का काम शुरू किया। इसके लिए उन्होंने 80 रुपए उधार भी लिए। मगर उनकी मेहनत रंग लाई और उनके बनाए लजीज पापड़ ने पूरे देश में एक ब्रांड बनकर उभरा। जिसे हम लिज्जत पापड़ (Lijjat Papad) के नाम से जानते हैं। कंपनी ने साल 2018 में करीब 800 करोड़ का टर्न ओवर हासिल किया।
सहेलियों ने मिलकर की पहल
लिज्जत पापड़ बनाने की शुरूआत साल 1959 में हुई थी। इसके लिए जसवंती बेन समेत उनकी 6 सहेलियों ने पहल की थी। इनमें पार्वतीबेन रामदास ठोदानी, उजमबेन नरानदास कुण्डलिया, बानुबेन तन्ना, लागुबेन अमृतलाल गोकानी, जयाबेन विठलानी शामिल थीं। इन्होंने घर पर पापड़ बनाने की शुरूआत की थी। जबकि एक अन्य महिला को पापड़ बेचने की जिम्मेदारी दी गई थी।
शुरू में बनाए थे 4 पैकेट पापड़
सभी सहेलियों ने पापड़ बनाने की शुरूआत बिज़नेस के मक़सद से नहीं बल्कि घर चलाने के लिए पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए की थी। इसके लिए उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता से 80 रुपए उधार लिए थे। जिससे वो पापड़ बनाने का सामना खरीद सके। सबसे पहले उन्होंने एक मशीन खरीदी थी। शुरुआत में उन्होंने पापड़ के 4 पैकेट बनाकर एक व्यापारी को बेचे थे। बाद में डिमांड बढ़ने के बाद ये लोगों के बीच लोकप्रिय होता गया।
1962 में हुआ कंपनी का नामकरण
हर भारतीय घर में अपनी जगह बना चुके मशहूर पापड़ कंपनी लिज्जत का नामकरण साल 1962 में हुआ था। तब संस्था का नाम ‘श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़’ रखा गया। साल 2002 में लिल्जत पापड़ का टर्न ओवर करीब 10 करोड़ था। फिलहाल इसकी 60 से ज़्यादा ब्रांच हैं, जिसमें लगभग 45 हज़ार महिलाएं काम संभाल रही हैं। साल 2018 में कंपनी ने 800 करोड़ का टर्न ओवर बनाया है।
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