पोस्ट ऑफिस की इस सरकारी योजना में निवेश करने पर टैक्स छूट के साथ मिलेगा बेहतर रिटर्न

पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत योजनाओं की कुछ योजनाओं में निवेश कर आप अच्छे रिटर्न के साथ इनकम टैक्स में भी छूट का फायदा ले सकते हैं। इसने से एक है नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), आइए इस योजना के बारे में डिटेल में जानते हैं।

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नई दिल्ली. अगर आप भी आने वाले समय में निवेश करने का विचार कर रहे हैं तो पोस्ट ऑफिस की सेविंग्स स्कीम्स अपने लिए बेहतर हो सकती है। इस स्कीम्स में आपको अच्छे रिटर्न के साथ इसमें निवेश किया गया पैसा भी पूरी तरह सुरक्षित रहता है। अगर बैंक डिफॉल्ट होता है, तो आपको अधिकतम पांच लाख रुपये की ही राशि वापस मिलती है। लेकिन डाकघर में ऐसा नहीं है, इसके अलावा पोस्ट ऑफिस की सेविंग्स स्कीम्स में बेहद कम राशि से निवेश शुरू किया जा सकता है। पोस्ट ऑफिस की छोटी बचत योजनाओं में नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) भी शामिल है। इस स्कीम में निवेश करके आप टैक्स छूट के साथ अच्छे रिटर्न का फायदा भी ले सकते हैं।
ये है ब्याज दर:
पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम में सालाना 6.8 फीसदी का ब्याज मिल रहा है. हालांकि, इसका भुगतान मैच्योरिटी पर ही किया जाएगा। इस स्कीम में अगर आप 1,000 रुपये का निवेश करते हैं, तो पांच साल बाद यह राशि 1389.49 हो जाएगी।
निवेश की राशि:
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट में न्यूनतम 1,000 रुपये का निवेश किया जा सकता है, निवेश 100 रुपये के मल्टीपल में करना होगा. स्कीम में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है।

कौन खोल सकता है अकाउंट:
डाकघर की इस योजना में एक वयस्क, तीन वयस्क तक साथ मिलकर ज्वॉइंट अकाउंट, किसी नाबालिग या कमजोर दिमाग वाले व्यक्ति की ओर से अभिभावक और 10 साल से ज्यादा उम्र का नाबालिग अपने नाम में ही अकाउंट खोल सकता है।
टैक्स छूट में फायदा:
पोस्ट ऑफिस की नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट में जमा राशि पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन के लिए क्लेम किया जा सकता है।

कब होगी मैच्योरिटी:
जमा की तारीख से पांच साल की अवधि पूरी होने पर डिपॉजिट मैच्योर हो जाएगी।
स्कीम के फीचर्स:
इस स्कीम में व्यक्ति किसी भी संख्या में अकाउंट्स खोल सकता है। NSC को सिक्योरिटी के तौर पर गिरवी या ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके लिए व्यक्ति को संबंधित पोस्ट ऑफिस में उपयुक्त ऐप्लीकेशन फॉर्म सब्मिट करना होगा। इसके साथ उसे जिस व्यक्ति के पास गिरवी रख रहे हैं, उससे मंजूरी का लेटर भी लेकर देना होगा।
इस स्कीम को 5 साल से पहले कुछ स्थितियों में बंद किया जा सकता है। अगर खाताधारक की मौत हो जाती है या ज्वॉइंट अकाउंट के मामले में, सभी खाताधारकों की मौत हो जाती है, तो अकाउंट मैच्योरिटी से पहले बंद किया जा सकता है। आपको बता दें की इसे अदालत के आदेश पर भी बंद कर सकते हैं। NSC को एक व्यक्ति से दूसरी व्यक्ति को कुछ स्थितियों में ट्रांसफर कर सकते हैं। खाताधारक की मौत हो जाने पर उसके नामित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी को अकाउंट ट्रांसफर किया जा सकता है। खाताधारक की मौत होने पर ज्वॉइंट होल्डर को उसे ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके अलावा अदालत के आदेश पर ट्रांसफर भी हो सकता है।
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