ITR फाइलिंग को 4 दिन बाकी, जान लें ये अहम बातें वरना देना पड़ सकता हैं तगड़ा जुर्माना

इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आाख‍िरी तारीख 31 अगस्त है। अब इनकम टैक्स रिटर्न भरने में सिर्फ तीन दिन का ही वक्त बचा हैं।

<p>ITR फाइलिंग को 3 दिन बाकी, जान लें ये अहम बातें वरना देना पड़ सकता हैं तगड़ा जुर्माना</p>
नई दिल्ली। इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आाख‍िरी तारीख 31 अगस्त है। अब इनकम टैक्स रिटर्न भरने में सिर्फ 4 दिन का ही वक्त बचा हैं। अगर आप ने इससे पहले आईटीआर नहीं भरा, तो आपको का जुर्माना देना पड़ सकता है। आयकर विभाग ने कहा है कि 31 जुलाई 2018 तक आयकर जमा नहीं करने वालों पर 5000 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। इस बार आयकर जमा करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 है। यदि आपने अभी तक अपना आयकर जमा नहीं किया है तो जल्द से जल्द इसे जमा कर दें। आयकर अधिनियम की धारा 139 (1) के तहत आकलन वर्ष 2018-19 के दौरान रिटर्न दाखिल करने के लिए निर्धारित समय के भीतर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने पर अधिनियम की धारा 234एफ के तहत विलंब शुल्क देना होगा। आईटीआर दाखिल करने से पहले जान लें इससे जुड़ी कुछ हर अहम बातों को।

1. सुनिश्चित करें कि आप इनकम का रिटर्न फाइल करें और वह भी समय परः जैसा कि पहले से ही चर्चा चुकी है, यह सुनिश्चित करें कि यदि आपकी आय 2.5 लाख रुपये की बेसिक थ्रेशोल्ड लिमिट पार करती है तो आप आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं। रिटर्न दाखिल करने में देरी होने पर धारा 234-एफ के तहत 10,000 रुपये तक जुर्माना लग सकता है।

2.करदाताओं (टैक्सपेयर्स) को उनकी सालाना कमाई के आधार पर अलग अलग वर्गों में बाटा गया है जिसे टैक्स स्लैब कहते हैं। बतौर करदाता आपको मालूम होना चाहिए कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं और आपको अपनी कमाई पर कितना फीसद हिस्सा बतौर टैक्स देना है।सैलरी से हुई किसी भी टैक्स कटौती को, आप फॉर्म 16 की मदद से जो कि नियोक्ता की ओर से जारी किया जाता है, जान सकते हैं। हालांकि अन्य आय पर हुई टैक्स कटौती को अगर आप जानना चाहते हैं तो इसके लिए आपको फॉर्म 26AS देखना होगा। इसे आप ऑनलाइन माध्यम से देख सकते हैं।
3.आयकर रिटर्न भरना अब आसान है और लोग खुद भी ऑनलाइन रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। लेकिन हर साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद आपको आईटीआर वेरिफाई करने की जरूरत होती है, क्योंकि आईटीआर को वेरिफाई न करना आईटीआर फाइल न करने के जैसा है। आईटीआर के ई-वेरिफिकेशन के दो तरीके हैं मैनुअली और इलेक्ट्रॉनिक (ई-वेरिफिकेशन)। इसके अलावा, नेटबैंकिंग, आधार ओटीपी इत्यादि के माध्यम से भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से वेरिफाई किया जा सकता है।
4.ऐसे करदाता जिनकी कमाई 50 लाख रुपए से ज्यादा की होती है। उसे उन वित्तीय संपत्तियों (चल और अचल संपत्तियों सहित) के विवरण का खुलासा करना आवश्यक होता है, जिसे उन्हें उस तिथि तक अर्जित किया हुआ होता है। ऐसा करना इस तरह के करदाताओं का कर्तव्य होता है।अपने विदेशी खातों की जानकारी भी आयकर विभाग को दे, साथ ही यह भी बताए कि उस वित्त वर्ष के दौरान उसने उस पर कितना ब्याज हासिल किया है। आपकी विदेशी संपत्तियों के संबंध में कोई भी गलत जानकारी आपको मुश्किल में ला सकती है।
5.आमतौर पर आधे से ज्यादा करदाता टैक्स सेविंग एफडी और अन्य एफडी से हुई कमाई का खुलासा करना भूल जाते हैं। कुछ करदाताओं को लगता है कि ये टैक्स फ्री है, यह एक मिथ है। उन्हें नहीं पता होता है कि हालांकि ये आयकर की धारा 80सी के तहत टैक्स बचाने में मददगार होते हैं। हालांकि इनसे होने वाली ब्याज योग्य आय पर टैक्स देना होता है। इसलिए बतौर करदाता अपनी इस तरह की आय का खुलासा आईटीआर में जरूर करें।
6.इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दौरान आयकर विभाग को ओरिजनल डॉक्यूमेंट दिए जाने की जरूरत नहीं होती है। वहीं आपकी ओर से ये दस्तावेज सीए को भी देना जरूरी नहीं होता है। बस जरूरत पड़ने पर आपको इन दस्तावेजों की कॉपी उपलब्ध करवानी होती हैं।
7. यह आवश्यक है कि आप आईएफएससी कोड, बैंक का नाम, बैंक खाता संख्या इत्यादि सटीक बैंक खाता विवरण प्रस्तुत करें ताकि आप तुरंत अपने रिफंड हासिल कर सकें। अब, आईटीआर फॉर्म गैर-निवासियों को भारत के बाहर बैंक खाते का ब्योरा देने की इजाजत देता है, जो बैंक का आईबीएएन या स्विफ्ट कोड है, ताकि उन्हें सीधे रिफंड मिल सके। संक्षेप में, विभाग ने गलत रिटर्न फाइलिंग पर गंभीर दंड को लेकर टैक्सपेयर्स को आगाह किया है। हमारा मानना है कि यह उन करदाताओं के लिए नये करदाताओं के लिए निर्देशित हैं जो जानबूझकर आंकड़ों में हेरफेर करते हैं, तथ्यों को दबाते हैं, निवेश बढ़ाते हैं और टैक्स चोरी के लिए खर्च बढ़ाते हैं।
 

8.अगर जरुरत पड़े तो रिवाइज्ड आईटीआर भरे।बता दें की रिवाइज्ड आईटीआर उस सूरत में भरा जाता है जब आपके आईटीआर में कुछ गलतियां रह गई हों। यानी अगर आपने आईटीआर के दौरान कुछ गलतियां कर दी हैं तो आप उन्हें इसके जरिए सुधार सकते हैं। रिवाइज्ड रिटर्न आयकर की धारा 139 (5) के तहत भरा जाता है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.