यहां १४८ वर्षों से होती है भवाई

नवरात्र महोत्सव, पाटण शहर के सागोटा की परम्परा

<p>यहां १४८ वर्षों से होती है भवाई</p>
हिम्मतनगर. अहमदाबाद से लेकर राजकोट, वडोदरा, जामनगर, हिम्मतनगर सहित प्रदेशभर में नवरात्र की धूम है। चारों ओर गरबों की रमझट देखने को मिल रही है। बच्चों से लेकर युवक-युवतियां व बुजुर्ग सभी गरबे खेलकर माता की आराधना करते हैं। कहीं प्राचीन गरबों की झलक दिखती है तो कहीं डीजे व ऑर्किस्ट्रा के साथ ताल मिलाकर खेलैया माता की आराधना करते हैं।
पाटण शहर के सागोटा की दूसरी शेरी में दर्जी समाज की ओर से प्राचीन परम्परा के अनुसार १४८ वर्ष बाद भी भवाई का आयोजन किया जाता है। हर वर्ष की इस बाद भी पांचम को दर्जी भवाई मंडल की ओर से श्री आशापुरा माताजी के मंदिर परिसर में रविवार को भवाई की गई, जिसमें कलाकारों ने गणपति व काली माता सहित विभिन्न देवी-देवताओं के पात्रों में प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
भवाई का प्रारंभ दोपहर को राम-रावण के युद्ध के साथ हुआ। इसके बाद कलाकारों ने विभिन्न प्रस्तुतियां प्रस्तुत की।
उल्लेखनीय है कि पाटण शहर में वर्षों से तीन स्थलों पर भवाई आयोजित की जाती है, जिनमें मां जालेश्वर पालडी एवं सागोटा की दूसरी शेरी की भवाई कला आयोजन व उसकी पूरी जिम्मेदारी कांतिभाई मोहनभाई पटेल संभालते हैं। इस भवाई कला को सफल बनाने में रमणलाल दर्जी, जयेश दर्जी, पीयूष दर्जी, अमित दर्जी, ललित दर्जी व पुष्पक दर्जी आदि कार्यकर्ता सहयोग देते हैं।
 

जेल में कैदी खेलते हैं रास-गरबा
जामनगर. गली-मोहल्लों से लेकर देवी मंदिर व पार्टी प्लॉट एवं सार्वजनिक स्थलों पर नवरात्र के दौरान गरबे की रौनक देखने को मिल रही है, ऐसे में जामनगर जिला जेल में भी रास-गरबा खेलकर कैदी माता की आराधना कर रहे हैं।
जिला जेल में भी माताजी के नोरता चल रहे हैं, जहां कैदियों की ओर से माता की आराधना की जा रही है। जिस प्रकार घर-मोहल्लों व पार्टी प्लॉटों में नौ दिनों के लिए माताजी की स्थापना की गई उसी प्रकार जेल में भी माता के मढ़ की स्थापना की गई है। रोजाना दोपहर ३.३० बजे से लेकर शाम को ५.३० बजे तक कैदियों की ओर सर्वधर्म सद्भावाना के वातावरण में माता की आराधना की जाती है। करीब २५ कैदी तो उपवास भी करते हैं। जेल में फिलहाल ४८० कैदी हैं।
 
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