Ram Navami 2021, 21 April: रामनवमी पर इस बार पांच ग्रहों का शुभ संयोग, 2013 के बाद बन रहा वृद्धिकारक योग

Ram Navami : इस दिन हुआ था श्री राम जी का जन्म…

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चैत्र नवरात्र 2021 के अंतिम दिन यानि 21 अप्रैल ( Rama Navami 2021 date ) को रामनवमी पर पांच ग्रहों का शुभ योग बन रहा है। इससे पहले ये संयोग दिन नौ साल पहले 2013 में बना था। ऐसे में माना जा रहा है कि यह संयोग इस दिन की शुभता में अत्यंत वृद्धि कर देगा ।

दरअसल मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ( Rama Navami date ) का जन्म कर्क लग्न और अभिजीत मुहूर्त में मध्यान्ह 12 बजे हुआ था। ऐसे में संयोगवश इस बार इस दिन अश्लेषा नक्षत्र, लग्न में स्वग्रही चंद्रमा, सप्तम भाव में स्वग्रही शनि, दशम भाव में सूर्य, बुध और शुक्र है और दिन बुधवार रहेगा।

राम नवमी ( Ram Navami 2021 ) 2021 : 21 अप्रैल को…
नवमी तिथि आरंभ – 00:42 (21 अप्रैल 2021)
नवमी तिथि समाप्त – 00:34 (22 अप्रैल 2021)
राम नवमी पूजा मुहूर्त – 11:02 से 13:37
अवधि- 2 घंटे 36 मिनट

दरअसल हिन्दू धर्मग्रंथो ( Hindu Dharma ) के अनुसार राम नवमी का संबंध भगवान विष्णु के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से है। भगवान विष्णु ने अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करने के लिये हर युग में अवतार लिये। इन्हीं में से एक अवतार उन्होंने त्रेता युग में भगवान श्री राम ( Shri Ram ) के रुप में लिया था।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में अयोध्या में राजा दशरथ के घर भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्रीराम का जन्म ( Rama Navami ) हुआ था।

इस बार ये है खास…
जानकारों के अनुसार भगवान श्रीराम की राशि कर्क और लग्न भी कर्क है। लग्न में स्वग्रही चंद्रमा का होना सुख शांति प्रदान करेगा। इसके साथ अश्लेषा नक्षत्र भी दिन की शुभता को बढ़ाएगा। भगवान श्रीराम ( Shri ram avtar ) का जन्म मध्यान्ह 12 बजे हुआ था, इसलिए इनकी आरती भी इसी समय 12 बजे करना उत्तम रहता है।

ज्योतिष के जानकर पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ग्रहों की यह युति इस दिन को मंगलकारी बनाएगी। इस दिन की गई पूजा और खरीदारी समृद्धिदायक और शुभता लाने वाली होगी।

वहीं इस बार रामनवमी ( RamaNavami ) के दिन चंद्रमा कर्क राशि में रहेगा। ऐसे में जो बच्चे रामनवमी के दिन जन्म लेंगे, उनकी कर्क राशि होगी। वही कर्क राशि में चंद्रमा के स्वगृही रहने से पर्व अधिक मंगलकारी रहेगा।

रामनवमी की पूजा विधि : Rama Navami puja
नवमी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पूजा स्थल पर प्रभु श्रीराम ( Sri Ram ) की मूर्ति रखें। मूर्ति की जगह तस्वीर भी रखी जा सकती है। इसके बाद भगवान श्रीराम का अक्षत, रोली, चंदन, धूप, गंध आदि से पूजन करें।

उनको तुलसी का पत्ता और कमल का फूल अर्पित करके फल और मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद उनकी आरती करें और सभी लोगों को प्रसाद बाटे। इस दिन रामायण का पाठ भी किया जा सकता है।

पौराणिक कथा…
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान राम ( Lord Ram ) त्रेता युग में अवतरित हुए। उनके जन्म का उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण करना, मानव समाज के लिये एक आदर्श पुरुष की मिसाल पेश करना और अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना था।

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उस समय के परम प्रतापी राजा दशरथ ने तीन-तीन विवाह किये, लेकिन किसी भी रानी से उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। ऐसे में ऋषि मुनियों से जब इस बारे में विमर्श किया तो उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी। पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने के पश्चात यज्ञ से जो खीर प्राप्त हुई उसे राजा दशरथ ने अपनी प्रिय पत्नी कौशल्या को दे दिया।

कौशल्या ने उसमें से आधा हिस्सा केकैयी को दिया इसके पश्चात कौशल्या और केकैयी ने अपने हिस्से से आधा-आधा हिस्सा तीसरी पत्नी सुमित्रा को दे दिया। इसीलिये चैत्र शुक्ल नवमी ( Chaitra shukla navmi ) को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में माता कौशल्या ने भगवान श्री राम ( jai Shri Ram ) को जन्म दिया । वही केकैयी से भरत ने जन्म, तो सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न को जन्म दिया।

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