अंबामांई में माता रानी भक्तों की हर मुराद करती है पूरी

नवरात्रि में 7 सौ मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना

<p>अंबामांई में माता रानी भक्तों की हर मुराद करती है पूरी</p>
कटंगी। क्षेत्र के सिद्ध पवित्र धार्मिक स्थल अंबामांई में नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। यहां सुबह से माता रानी के दर्शनार्थ बड़ी संख्या में भक्त दूर-दराज से आ रहे हैं और कतार में लगकर माता की पूजा अर्चना कर आर्शीवाद ले रहे हैं। मुख्यालय से करीब 9 किमी. दूर सिवनी रोड पर मुख्य मार्ग से 1.30 किमी. की दूरी पर जंगल के बीच स्थित अंबामांई के बारे में मान्यता है कि यहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। सच्चे भक्तों की मॉ हर मुराद पूरी करती हैं। यहां सामान्य दिनों में भी भक्तों की भीड़ रहती है। मुराद पूरी होने की वजह से ही भक्तों का विश्वास मॉ के प्रति बढ़ रहा है। इस वर्ष नवरात्रि के अवसर पर मुंबई, हैदराबाद, कोलकत्ता, राजस्थान जैसे अन्य राज्यों के भक्तों ने मंदिर में तेल एवं घी के मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना करवाई है।
प्रतिवर्ष नवरात्रि में पूरे आस्था व श्रद्धा के साथ अंबामांई में मॉ की पूजा-आराधना की जाती है। मंदिर समिति के सहयोग से पूरी भव्यता के साथ पूजा-अर्चना संपन्न होती है। इन दिनों सुबह और शाम माता की विशेष आरती का आयोजन होता है। इसके अलावा भक्त भजन-कीर्तन करते है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि नवरात्रि के अष्टमी को पूजन व नवमी को हवन एवं कलश विसर्जन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते है। अंबामांई में पहाड़ी पर माता रानी के अलावा गायमुख, रानी सती करमा पिरागी दादी जी, शंकर पार्वती तथा नीचे शेषनाग एवं पंचमुखी हनुमान मंदिर स्थित है। अंबामांई आने वाले सभी भक्त इन मंदिरों में भी पूजा अर्चना करते है। इसके अलावा विविध धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न करते हैं। युवा नवरात्रि के अवसर पर माता रानी के दर्शन के साथ ही यहां पिकनिक मनाने के लिए भी पहुंचते है।
मंदिर को लेकर क्विंदतियां
जितनी अनोखी इस मंदिर के बारे में मान्यता है उतनी ही अनोखी मंदिर की कहानी भी है। बुर्जुर्गों द्वारा बताया जाता है कि अंबामांई में जानवर चराने के लिए लिए गए एक चरवाहे को माता ने स्वप्न में दर्शन दिए थे तथा अपने अस्तित्व की जानकारी दी थी। इसके बाद चरवाहे ने घर पर आकर अपने परिवार और आड़पड़ोस के लोगों को इसकी जानकारी दी। बताया जाता है कि जिस स्थान पर चरवाहा सोया हुआ था। वहीं से एक जल धारा भी निकली जिसे मंदिर में गायमुख का रूप दिया गया है। यह जलधारा गर्मी के मौसम में भी निंरतर बहते रहती है। अंबामांई में मकर संक्रांति के पर्व पर विशाल मेले का आयोजन होता है।
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