चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि के दिन महाबली श्री हनुमान की जयंती मनाई जाती है। पूजन के बाद इस मंत्र स्तुति का उच्चारण कर हनुमान जी की इस आरती का गायन श्रद्धापूर्वक करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। आरती के बाद हनुमान जी की 11 परिक्रमा जरूर करें।
आरती से पूर्व इन मंत्रों से हनुमान जी की वंदना करें
1- ऊँ मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम्।।
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे।।
2- ऊँ अतुलितबलधामं हेम शैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
।। श्री हनुमान भगवान की आरती।।
आरती किजे हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर कांपे, रोग दोष जाके निकट ना झांके॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे वीरा रघुनाथ पठाये, लंका जाये सिया सुधी लाये॥
लंका सी कोट संमदर सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे, सियाराम जी के काज संवारे॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे, आनि संजिवन प्राण उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे॥
बायें भुजा असुर दल मारे, दाहीने भुजा सब संत जन उबारे॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे, जै जै जै हनुमान उचारे॥
कचंन थाल कपूर लौ छाई, आरती करत अंजनी माई॥
जो हनुमान जी की आरती गाये, बसहिं बैकुंठ परम पद पायै॥
लंका विध्वंश किये रघुराई, तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई॥
आरती किजे हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
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