मान्यता के अनुसार, जब पूरी सृष्टि मौन थी, तब ब्रह्मा जी ने विष्णु जी की अनुमति से अपने कमंडल के जल से देवी सरस्वती की उत्पत्ति की थी। माना जाता है कि इसी के बाद इस सृष्टि को स्वर मिला। तब ही से मां सरस्वती की पूजा की जाती है
ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती को वाणी की देवी नाम दिया था। यही कारण है कि मां सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला की देवी कहा जाता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की खास पूजा की जाती है। आइये जानते हैं कि बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा किस तरह करनी चाहिए…
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के लिए सबसे पहले देवी सरस्वती की प्रतिमा का स्थापना करें। कलश स्थापित करने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लेकर पूजा करें। क्योंकि भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है।
पूजा करते वक्त सबसे पहले सरस्वती माता की आमचन और स्नान कराएं। इसके बाद देवी को पीले रंग के फूल अर्पित करें और सफेद वस्त्र पहनाएं, फिर मां सरस्वती का श्रृंगार करें। इसके बाद माता के चरणों पर गुलाल अर्पित करें, फिर मां को पीले फल या फिर मौसमी फलों के साथ-साथ बूंदी भी चढ़ाएं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि देवी सरस्वती विद्या और वाणी की देवी हैं। ऐसे में पूजा के समय किताब या वाद्ययंत्रों का भी पूजा करें।
अगर आप पूजा करने के बाद हवन करते हैं तो सरस्वती माता के नाम से ऊँ श्री सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें।
अगर आप पूजा करने के बाद हवन करते हैं तो सरस्वती माता के नाम से ऊँ श्री सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें।