मौसम खराबी से हादसा
अमेठी के फुरसतगंज स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी (इग्रुआ) से सुबह 10.20 पर प्रशिक्षु पायलट कोणार्क शरन ने टीवी-20 विमान से सोलो प्रशिक्षण के लिए उड़ान भरी थी। प्रशिक्षण के लिए चार प्रशिक्षु पालयट उड़ान पर निकले थे। इसमें तीन उड़ान पूरी कर वापस लौट आए। कोणार्क का प्लेन भी वाराणसी के रडार पर था। मौसम खराब होने से उसका संपर्क टूट गया और विमान हादसाग्रस्त हो गया। सरायमीर थाना क्षेत्र के कोलपुर कुसहां गांव में सोमवार सुबह सवा 11 बजे के आसपास खराब मौसम में ट्रेनिंग में प्रयोग किया जाने वाला इग्रुआ का विमान क्रैश होकर जमीन पर आ गिरा था।
ऊचाई से गिेरने से हुई मौत
पायलट की पोस्टमार्टम रिर्पोट में उसकी मौत सिर में गंभीर चोट लगने के कारण बताई गई है। इसके अलावा शरीर पर कई स्थानों पर गंभीर चोट भी बताई गई है। दोनों कूल्हे, हाथ भी टूट गए थे। इससे कयास लगाया जा रहा है कि पायलट काफी ऊंचाई से नीचे गिरे थे।
इंजन जमीन में 7 फिट धंस गया
हादसे की जांच के लिए सात सदस्यीय टीम आजमगढ़ पहुंची है। इसमें इग्रुवा के प्रशासनिक अधिकारी संदीप पुरी, फ्लाइंग सेफ्टी मैनेजर सीबीएन यादव और चार इंजीनियरों की टीम के साथ एएआईबी के रामचंद्रन शामिल हैं। टीम की ओर से विमान के प्रत्येक मलबे को एकत्र कराया जा रहा है। इसे फुरसतगंज ले जाया जाएगा। वहीं, टीम मंगलवार सुबह थाने पर पहुंची और लाए गए मलबे का निरीक्षण किया इसके बाद घटनास्थल पहुंची। विमान का इंजन साढ़े सात फिट अंदर जमीन में धंस गया था। उसे जेसीबी और ग्रामीणों की सहयोग से निकाला गया। अनुमान लगाया जा रहा है कि चक्रवात जैसी स्थिति में पहुंचकर विमान का ब्लेड टूट गया। विमान आसमान में ही कई हिस्सों में बंट गया था। इसीलिए पायलट कहीं और मलबे अलग स्थानों पर गिरे थे।
ट्रेनी विमान में पैराशूट नहीं दिया जाता
इग्रुआ के प्रशासनिक अधिकारी संदीप पुरी ने बताया कि ट्रेनी विमान में पैराशूट नहीं दिया जाता है। कोणार्क 125 घंटे की उड़ान की ट्रेनिंग पूरी कर चुके थे। खराब मौसम और अति आत्मविश्वास में ऐसे हादसे हो जाते हैं। अन्यथा इस विमान की आसानी से खेत में भी लैंडिंग कराई जा सकती है। अधिकारियों का कहना है कि ट्रेनी विमान में ब्लैक बाक्स नहीं होता। इसके स्थान पर एफडीआर होती है। अभी एफडीआर की तलाश की जा रही है। एफडीआर मिलने से हादसे के कारणों का स्पष्ट पता चल पाएगा। इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि जांच में पांच-छह महीने भी लग सकते हैं। विमान की कीमत लगभग तीन करोड़ रुपये बताई जा रही है।
बचपन से पायलट बनने का सपना
मूलरूप से गांव आल्हापुर के रहने वाले राम शरण पिछले काफी वर्षों से पलवल की आदशज़् कॉलोनी में रहते हैं। इसलिए कोणार्क की प्रारंभिक शिक्षा पलवल एक निजी स्कूल में हुई। कोणार्क के पिता रामशरण ने बताया कि वह बचपन से ही पायलट बनना चाहता था। कोणार्क अपने पिता व बहन की तरह एयर इंडिया में नौकरी कर देश की सेवा करना चाहता था। उनकी खेलों में भी काफी रुचि थी। पढ़ाई के दौरान खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेते रहते थे।
उड़ान के 40 घंटे शेष थे
तीन बहनों के लाडले कोणार्क ने थापर यूनिवर्सिटी से बीटेक पास करने के बाद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी में पायलट ट्रेनिंग के लिए करीब दो साल पहले दाखिला लिया था। कोणार्क के परिजनों ने बताया कि उसकी 200 घंटे की उड़ान होनी थी। वह 160 घंटे की उड़ान पूरी कर चुके थे और 40 घंटे शेष थे। वह सोलो उड़ान पर था और मौसम खराब होने के कारण एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया। कोणार्क की तीनों बहनें प्रतिभा, सुजाता और मीनाक्षी शादीशुदा हैं। मीनाक्षी एयर इंडिया में नौकरी करती है। पिता रामशरण एयर इंडिया से सेवानिवृत्त हैं और मां सरोज गृहिणी हैं। उनके पैतृक गांव आल्हापुर में भी शोक का माहौल है।