कजरी तीज पर अयोध्या के इस मंदिर में पूजा करने से पूरी होती है हर मनोकामना

राम नगरी अयोध्या में सरयू तट पर महाराजा कुश द्वारा स्थापित हैं भगवान नागेश्वरनाथ महादेव का भव्य मंदिर

<p>अयोध्या में सरयू घाट पर स्थित नागेश्वरनाथ मंदिर</p>
अयोध्या : राम नगरी अयोध्या के सरयू घाट के पास स्थित 108 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंगों नागेश्वरनाथ महादेव हैं सरयू के पास इस मंदिर की स्थापना महाराजा कुश ने की थी. आज के दिन भादौ शुक्ल तृतीय को इस स्थान पर आराधना व दर्शन का विशेष महत्व होता हैं
महाराजा कुश ने किया इस मंदिर की स्थापना
अयोध्या में स्थित प्राचीन मंदिर नागेश्वरनाथ की स्थापना भगवान श्री राम के पुत्र कुश महाराज ने की थी. माना जाता है कि प्राचीन अयोध्या का सर्वप्रथम जीर्णोद्धार महाराजा कुश ने ही किया था. उसी समय सरयू नदी में विहार के करते हुए उनकी अंगूठी पानी में गिर गई जो एक नाग कन्या को मिली.महाराज कुश के जानकारी के बाद जब अंगूठी लौटाने के लिए कहा तो नाग कन्या मना कर दिया जिससे नाराज हो गए. नागकन्या के पिता ने उनके कोप से बचाने की प्रार्थना भगवान शिव से की तो वह प्रकट हुए और उन्होंने महाराज कुश को शांत कराया. भगवान शिव के कहने पर नाग कन्या के पिता ने महाराजा कुश के साथ नागकन्या का विवाह भी उनसे करा दिया। इसके बाद महाराज कुश ने भगवान शिव से यहीं बसने की प्रार्थना की जिसके कारण भगवान शिवलिंग रूप में स्थापित हुए. महाराज कुश ने उनका पूजन कर मंदिर का निर्माण कराया. आज भी मंदिर परिसर के गेट के पास लव-कुश की प्रतिमा भी स्थापित है।
आज के दिन सुहागिन महिलाये करती हैं निराजल व्रत
भादौं शुक्ल तृतीया के पर्व को हरितालिका तीज जिसे कजरी तीज भी कहते हैं.आज के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या के नागेश्वरनाथ महादेव मंदिर में जलाभिषेक कर पूजन अर्चन करने के लिए देश के कोने कोने से श्रद्धालु अयोध्या पहुचते हैं. इसके साथ सुहागिन महिलाये व लडकिया पति की लम्बी उम्र व इच्छानुसार वर प्राप्त करने की कामना से निराजल उपवास रखकर भगवान शिव एवं माता पार्वती का पूजन अराधना करती है.
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