इस शहर में -67 डिग्री पहुंच गया था तापमान, सिकुड़ने लगी थी जमीन और मुड़ गए थे रेलवे ट्रैक

साल 1885 में आया था यहां भयंकर वाला बर्फीला तूफान, जिसमें पारा -67 डिग्री पहुंच गया था और इस शहर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज है।

साइबेरिया/रूस : दुनिया के कई देशों में कड़कड़ाती ठंड का दौर शुरु हो गया है। हालांकि भारत में अभी कड़ाके की सर्दी आने में कुछ दिन बाकी है, लेकिन पहाड़ी इलाकों में ठंड का कहर टूटना शुरु हो गया है। बुधवार को जम्मू-कश्मीर में सीजन की पहली बर्फबारी हुई, जिसकी वजह से कई हाईवे और रास्तों को बंद कर दिया गया है। आने वाले कुछ दिन भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में ठंड का कहर देखने को मिलेगा।
 

-67 डिग्री पहुंच गया था तापमान
ऐसे में बात की जाए इतिहास में अभी तक की कड़ाके की सर्दी की तो वो रूस के साइबेरिया में पड़ी थी। ये वो जगह है, जहां ठंड की वजह से हालात इतने बद्तर हो जाते हैं कि इंसान का जीना मुश्किल हो जाता है। रूस का साइबेरिया अभी तक के सबसे खतरनाक बर्फीले तूफान के लिए भी जाना जाता है। यहां के वर्खोयांस्क टाउन में साल 1885 में हालात ऐसे हो गए थे कि पारा -67 डिग्री पर पहुंच गया था। ठंड के मामले में यह रिकॉर्ड गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। पिछले साल पहले भी यहां पारा -62 पर पहुंच गया था।
 

Snow storm
2050 तक बर्फ से ढक जाएगा ये इलाका
टेंप्रेचर के इतने खतरनाक स्तर के बाद तो यहां जीवन ही मुश्किल हो गया था। यहां के शहरों की स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि रेलवे ट्रैक की शेप तक बिगड़ गए थे और बर्फीले तूफान से घरों की दीवारों में दरारें पड़ गईं थीं। यहां के लोगों के लिए चिंता वाली बात ये है कि इस साल भी यहां ठंड का कुछ ऐसा ही रूप देखने को मिल रहा है। इस साल भी साइबेरिया में ठंड बढ़ती ही जा रही है। इसी संबंध में यूएस-रशिया के रिसर्चर्स ने एक रिपार्ट तैयार की है, जिसमें बताया गया है कि 2050 तक रूस का यह इलाका बर्फ के ढेर में बदल जाएगा।
 

Snow storm
हालात और भी हो सकते हैं खराब
रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसा ‘थॉइंग पर्माफ्रॉस्ट’ के कारण होगा। इस रिपोर्ट के साथ साइबेरिया के वर्तमान हालात के कुछ फोटोज भी जारी किए गए हैं। पर्माफ्रॉस्ट बर्फ के नीचे दबी एक मोटी व ठंडी परत है। धरती के गर्म होने की वजह से यह लेयर ऊपर आती है। पर्माफ्रॉस्ट के ऊपर आने पर वहां की जमीन बर्फ में तब्दील होने लगती है। इससे हरेक चीज जम जाती है। ऐसे में नदी-तालाब व जमीन से लेकर पहाड़ों की चट्टानों को भी अपनी चपेट में लेती जाती है।
चिंता वाली बात ये है कि अगर आने वाले सालों में इस तरह साइबेरिया जमता चला गया तो यहां सबकुछ खत्म हो जाएगा। पर्माफ्रॉस्ट लेयर के ऊपर आने से जमीन के नीचे दबी सारी चीजें बर्फ में तब्दील हो जाएंगी।
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