विकासशील देशों को दिए जाने हैं 100 अरब डॉलर
वाशिंगटन स्थित वर्ल्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट के सस्टेनेबल फायनेंस सेंटर में क्लाइमेट फायनेंस एसोसिएट निरंजली मनेल अमेरासिंघे ने बताया कि विकसित देश पहले ही 2020 विकासशील देशों को 100 अरब डॉलर सालाना देने को सहमत हो चुके थे। यह धन विकासशील देशों को निम्न कार्बन उत्सर्जन प्रौद्योगिकी अपनाने और जलवायु असर के लिए उनको तैयार करने में मदद के लिए देने की बात थी। भारत समेत विकासशील देशों के लिए 2020 के पहले की जलवायु कार्ययोजना को लेकर एक बड़ी उपलब्धि की बात यह थी कि दुनिया के विकसित देश बाद के दो वर्षो में भी इस विषय पर बातचीत को राजी थे।
वैज्ञानिक रिपोर्ट की प्रतीक्षा नहीं
भारत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि विकासशील देशों को वित्तीय मदद, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करने के प्रावधान संकटपूर्ण हैं। जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में गुरुवार को मंत्रियों की उच्चस्तरीय बैठक में उन्होंने कहा कि हमें कार्रवाई करने के लिए हमेशा वैज्ञानिक रिपोर्ट की प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को दो डिग्री सेंटीग्रेड तक सीमित रखने के लिए क्योटो प्रोटोकॉल के तहत विकसित देशों की ओर से 2020 के पहले अतिरिक्त व प्रारंभिक कार्य-योजना और विकासशील देशों को वित्तीय मदद, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करने के प्रावधान संकटपूर्ण स्थिति में हैं। भारत सम्मेलन के पहले दिन 6 नवंबर से ही 2020 के पूर्व की जलवायु कार्य-योजना को वार्ता के औपचारिक एजेंडा में शामिल करने की मांग कर रहा था।