West Bengal Assembly Elections 2021: भाजपा के बढ़ते सियासी प्रभाव से तृणमूल के चेहरे पर ‘चिंता’

West Bengal Assembly Elections 2021: अम्फान तूफान से सबसे ज्यादा रहा प्रभावित, बर्बादी के जख्म कुरेदकर तलाशे जा रहे सहानुभूति के वोट ।

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उत्तर 24 परगना पश्चिम बंगाल से रमेश शर्मा

West Bengal Assembly Elections 2021 बांग्लादेश की सीमा से जुड़ा देश का दूसरा सबसे घनी आबादी वाला जिला उत्तर 24 परगना गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टा पर स्थित है। यह बंगाल की खाड़ी के चक्रवाती तूफान अम्फान से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में से एक था। अम्फान गत वर्ष मई में टकराया, पर इसका असर अब भी लोगों के दिलोदिमाग पर है। कई जगह बर्बादी के निशां आज भी नजर आ जाएंगे। इसे लेकर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी बहुत सावधान हैं। वह प्रचार में इसका जिक्र बिल्कुल नहीं करतीं। भाजपा इसे लपक रही है। प्रभावित लोगों के ‘जख्म कुरेदकर’ उसे अपना वोटबैंक बढ़ाने का अच्छा मुद्दा मिला हुआ है। तृणमूल से पाला बदलकर भाजपा में आए दिनेश त्रिवेदी, मुकुल रॉय जैसे कई दिग्गज इसी जमीन से जुड़े हैं। इस जिले में भाजपा व तृणमूल के अलावा वाम गठबंधन का भी पूरा जोर है। जीत इस बात पर तय होगी कि वोटों के ध्रुवीकरण में कौन कितना सफल है। ममता खुले मंच से मुस्लिम वोट के लिए अपील कर चुकी हैं और भाजपा इसे ही हथियार बना रही है। जानकारों का कहना है ममता की अपील उन्हें भारी पड़ सकती है।

तृणमूल के गढ़ में बदला हुआ माहौल-
उत्तर 24 परगना जिले में कुल 33 विधानसभा क्षेत्र हैं। 16 सीटों पर 17 अप्रेल को चुनाव होने हैं। इनमें पनिहाटी, कमरहटी, बरानगर, दम दम, राजरहाट न्यू टाउन, बिधान नगर, राजारहाट गोपालपुर, मध्यमग्राम, बारासात, देवगंगा, हराओ, मिनखान, संदशखली, बसीरहाट दक्षिण, बसीरहाट उत्तर, हिंगलगंज हैं। शेष 17 सीटों पर 22 अप्रेल को मतदान होगा। पिछले विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने 33 में से 27 जीतकर दबदबा बनाया था। अब हालात बदले हुए हैं।

मतुआ व मुस्लिम वोट तय करेंगे ‘जीत’ –
बारासात उत्तर 24 परगना का जिला मुख्यालय है। योगेश कुमार कहते हैं, कछारी मैदान में पीएम नरेंद्र मोदी की रैली के बाद तृणमूल व अन्य दलों में बेचैनी बढ़ गई है। यह जिला तृणमूल का सबसे मजबूत गढ़ रहा है। तृणमूल शासन से पहले यहां वाममोर्चा का व्यापक आधार था। पनिहाटी और बसीरहाट दक्षिण में अमित शाह की रैली व सभाएं हुई। बांग्लादेश से जुड़ा होने से मतुआ और मुस्लिम वोट सबसे अधिक हैं, जो जीत-हार तय करेंगे। अनुसूचित जाति की आबादी भी बहुत है। इस बार मतुआ समुदाय का झुकाव भाजपा की तरफ है। दो वर्ष पूर्व लोकसभा चुनाव में मतुआ समुदाय ने भाजपा को वोट किया। इससे भाजपा को इस बार भी बहुत उम्मीद है।

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