West Bengal Assembly Elections 2021 राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 34 पर कोलकाता से नदिया जाएंगे, तब ही हम समझ पाएंगे कि बंकिमचंद्र चटर्जी ने इस धरती को ‘शस्यश्यामलाम् मातरम्’ क्यों कहा था? सच में कहीं आनंद मठ होगा तो यहीं होगा। नदिया जिले की सीमा शुरू होते ही दूर-दूर तक आम के बगीचे नजर आएंगे। सड़क किनारे भी यहां आम के पेड़ों की टहनियां फलों के बोझ से झुकी नजर आती हैं। इसके साथ ही दूर तक धान के खेत, केलों के गुच्छों से लकदक खेत, हाईटेक फार्म देखकर बस आंखों को हरितिमा और फल, धान्य से भरपूर उर्वरा भूमि नजर आती है। नवद्वीप, मायापुर, शांतिपुर को समेटे इस जिले का मुख्यालय कृष्णानगर है। कभी इसी क्षेत्र के निकट प्लासी का युद्ध हुआ था। विधानसभा चुनावों में कृष्णानगर उत्तर सर्वाधिक चर्चित सीट में से एक है। इसकी मुख्य वजह भाजपा प्रत्याशी मुकुल रॉय हैं। आमतौर पर चुनावों में स्थानीय मुद्दे भारी रहते हैं पर इस सीट की चर्चाओं में प्रत्याशियों के चेहरे भारी पड़ रहे हैं। प. बंगाल विधानसभा चुनाव के छठे चरण में गुरुवार को 43 सीटों पर मतदान होगा। 306 प्रत्याशी मैदान में हैं।
सारदा-नारद में नाम, भाजपा के लिए किया बड़ा काम-
तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य रहे मुकुल यहां से भाजपा के प्रत्याशी हैं। वे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। ऐसे में मुकुल को जिताना भाजपा का प्रमुख लक्ष्य है। तृणमूल ने यहां अभिनेत्री कौशानी मुखर्जी को उतारा है जो चेहरा जाना पहचाना हैं पर राजनीतिक पकड़ के मामले में कमजोर हैं। वहीं संयुक्त मोर्चा से शिल्वी साहा मैदान में हैं। यह सीट लंबे समय तक माकपा व कांग्रेस के कब्जे में रही थी। इसके बाद तृणमूल का कब्जा रहा। प. बंगाल की मौजूदा राजनीति में परिवर्तन की शुरुआत सारदा चिटफंड घोटाले से हुई। नारद स्टिंग ऑपरेशन से भी राज्य की तृणमूल राजनीति में भूचाल आया था। दोनों ही मामलों में तब भाजपा ने मुकुल रॉय का नाम जोर शोर से उछाला था। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी पार्टी के हाल देखकर तब सीएम ममता बनर्जी उनसे भारी नाराज थीं। मुकुल की भाजपा नेताओं के साथ मुलाकातों की बातें बाहर आने लगीं। तृणमूल ने उन्हें निष्कासित कर दिया। मुकुल ने राज्यसभा की सदस्यता छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। हाल ही में शुभेंदु अधिकारी से लेकर कई बड़े तृणमूल नेताओं को भाजपा में लाने का श्रेय इन्हें ही है।
कली को फूल खिलाने का जिम्मा-
कृष्णानगर उत्तर में मुकुल की भारी पकड़ है। वोटरों से बात करने पर सहज अंदाजा लग जाता है कि उनकी पैठ डोर-टू-डोर है। सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक तरुण गोस्वामी ने कहा, मुकुल का मतलब कली होता है। बंगाल में भाजपा ने इस कली को फूल खिलाने का बड़ा जिम्मा दिया है इसलिए नदिया का पानी इनके काम आना तय है। व्यवसायी ज्योतिर्मय साहा से चुनावी हलचल पर चर्चा की तो जवाब आया पार्टी का पता नहीं, हम तो मुकुल दादा को जानते हैं। इसके इतर महिलाओं में तृणमूल के प्रति ज्यादा झुकाव दिख रहा है। महिला प्रत्याशी होने के साथ ही ममता के प्रति नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है।