वहीं कुशीनगर से बसपा नेता हरिशंकर राजभर और राजेंद्र यादव ने भी बसपा का हाथ छोड़ सपा का हाथ थाम लिया। क्यों छोड़ा मायावती का साथ? लंबे वक्त से बसपा में रहे नेता भी अब मायावती का साथ छोड़ सपा में शामिल हो रहे हैं, इसकी मूल वजह हाल ही में हुए प्रबुद्ध सम्मेलन में मायावती की कही बातों का है। मायावती ने अपने भाषण में ये साफ तौर पर कह दिया था कि इस बार के विधानसभा चुनावों में बसपा उन लोगो को टिकट नहीं देगी जिनका नाम प्रदेश में माफिया और बाहुबली के तौर पर है। मायावती ने साफ इशारा कर यह कह दिया था कि जिन लोगो पर अपराधिक मामले है उन लोगो को पार्टी टिकट नहीं देगी। मायावती ने मुख्तार अंसारी को भी टिकट देने से इनकार कर दिया जिसके बाद पार्टी के अन्य नेता जिन पर किसी तरह के मामले दर्ज थे उन्होंने बसपा छोड़ सपा का हाथ थाम लिया।
AIMIM ने उठाया मौके का फायदा मुख्तार अंसारी प्रदेश में बसपा का बड़ा मुस्लिम चेहरा था, बसपा से जाने के बाद मुख्तार को AIMIM ke प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उनकी पार्टी में शामिल होने का खुला ऑफर भी दिया है।
बेचन निषाद ने भी छोड़ा बसपा का साथ बसपा से सपा में शामिल होने वाले नेताओं की सूची में बेचन निषाद का नाम भी है। बेचन निषाद बसपा से फरेंदा विधानसभा सीट से पूर्व प्रत्याशी थे।
सपा का दावा, अभी और नेता होंगे शामिल सपा का दावा है कि आठ और भाजपा विधायक सपा के संपर्क में हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि पश्चिमी यूपी में भाजपा विधायकों का बहिष्कार होने लगा है इसलिए वे दूसरा रास्ता तलाश रहे है। उन्होंने कहा कि लोगों का भरोसा समाजवादी पार्टी पर है इसीलिए अन्य पार्टियों के नेता सपा का रुख कर रहे हैं।