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राज्य सरकार ने इस संबंध में चुनाव आयोग के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने का निर्णय लिया है वहीं दूसरी ओर सत्तारुढ़ पार्टी ने विपक्ष की गरीबों को दिए जा रहे खाने की सप्लाई रोकने के लिए निंदा की है। लेफ्ट अपनी इस योजना को लगातार जारी रखना चाहती है, पार्टी के अनुसार हाल ही हुए स्थानीय निकाय चुनावों में उसकी जीत के पीछे भी इस योजना के प्रति लोगों का रूझान था। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने विपक्षी नेताओं पर सामाजिक कल्याण के लिए चलाई जा रही निशुल्क भोजन किट्स, अनाज तथा पेंशन योजना को बंद करने के लिए चुनाव आयोग को लिखे गए पत्र की निंदा की है। उन्होंने विपक्ष के नेताओं से गरीबों के हितों पर कुठाराघात करने के लिए माफी मांगने की भी मांग की। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर लगाया जनता के हितों पर कुठाराघात करने का आरोप
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब गरीबों को अनाज की सर्वाधिक आवश्यकता है, तब चुनाव आयोग को पत्र लिखकर भोजन किट को रुकवाना जनता के अपमान और उन्हें भूखा मारने जैसा है। उनके इन आरोपों पर विपक्ष के नेता चेन्नीथला ने कहा कि यह वो अनाज है जिसे सितंबर से मार्च के बीच स्टूडेंट्स को अलॉट किया गया था और उन्हें बांटा जाना था परन्तु विधानसभा चुनावों में वोट हासिल करने के लिए सत्तारुढ़ पार्टी ने उस समय अनाज नहीं बांट कर अब बांटना शुरु किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब गरीबों को अनाज की सर्वाधिक आवश्यकता है, तब चुनाव आयोग को पत्र लिखकर भोजन किट को रुकवाना जनता के अपमान और उन्हें भूखा मारने जैसा है। उनके इन आरोपों पर विपक्ष के नेता चेन्नीथला ने कहा कि यह वो अनाज है जिसे सितंबर से मार्च के बीच स्टूडेंट्स को अलॉट किया गया था और उन्हें बांटा जाना था परन्तु विधानसभा चुनावों में वोट हासिल करने के लिए सत्तारुढ़ पार्टी ने उस समय अनाज नहीं बांट कर अब बांटना शुरु किया है।
चेन्नीथला के अनुसार महामारी के दौर में जनता को राहत देने के लिए अनाज बांटने की योजना शुरु की गई थी लेकिन चुनाव में राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इसे रोका गया और अब किया जा रहा है। सत्ता से जुड़े कई नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए लोगों से विपक्ष के प्रति खुल कर सामने आने की अपील की।