Kerala Assembly Elections 2021 – केरल की राजनीतिक जंग सबसे अलग, न लंबा स्वागत न भाषण, केवल मुद्दों पर वोट देती है पब्लिक

Kerala Assembly Elections 2021 – बड़ा नेता आए और एक दर्जन से ज्यादा नेताओं को पहले सुनना पड़े जो राज्य तथा देश भर से आए हुए हों, ऐसा केरल में नहीं होता है।

<p>Kerala PSC recruitment 2019</p>
Kerala Assembly Elections 2021 – त्रिवेन्द्रम (केरल)। पोस्टर विवाद चुनावों में बड़ा विवाद बन जाता है। इसका पोस्टर हटाया, उसका झण्डा जलाया और जहां सभा हों वहां तो अपने ही झण्डे होने चाहिए, दूसरे का तो झण्डा दिखना भी गुनाह, लेकिन केरल में ऐसा नहीं है। यहां पर हर पार्टी के झण्डे और बैनर लगे हैं, एक दूसरे के पास-पास में ही लगे हैं। ताज्जुब तो तब होता है कि जहां पर भाजपा के स्टार प्रचारक को संबोधित करना है, उसके एकदम पास में सीपीएम के पोस्टर और थोड़ी देर बाद होने वाली सभा का तामझाम था। किसी को इस पर कोई ऐतराज भी नहीं। उसके अलावा किसी का पोस्टर हटाने या दीवार पर करीब में ही दूसरी पार्टी का नाम लिखने को लेकर भी परेशानी नजर नहीं आती है।
यह भी पढ़ें

प्रदेश में लेफ्ट का वर्चस्व, पहले विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक संभाली सत्ता

यह भी पढ़ें
kerala Assembly Elections 2021 में टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेस नेता ने सिर मुंडवाया

यह भी पढ़ें
क्या Kerala Assembly Elections 2021 में भाजपा कर पाएगी करिश्मा, सर्वे में हुआ खुलासा

किशोर और बच्चों को राजनीति से नहीं लेना-देना
आमतौर पर यह देखा गया है कि किशोर और बच्चे पार्टी की रैली और सभाओं में उमड़ते हैं। परिजन भी बच्चों को अपने साथ ले जाते हैं कि बड़ा नेता आने वाला है, देख लेना। केरल में ऐसा नहीं है। यहां बड़े-बड़े नेताओं की पार्टी में भी बच्चे और किशोर शरीक नहीं होते हैं। कॉलेज के विद्यार्थी भी रुककर रैली सभा में आने या नारेबाजी करने में शामिल नहीं हैं। पार्टी के कार्यकर्ता और युवा जो राजनीति में सक्रिय हैं, वे ही यहां दिखाई देते हैं।
रेल-बस में नहीं छिड़ती राजनीति की जंग
चुनाव हों और रेलों और बसों में यात्रा करने वाले चुनावी रंग में नहीं रंगे, ऐसा कैसे हो सकता है, लेकिन केरल में यह भी नहीं देखा गया। रेल में यात्रा करने वाले अव्वल तो पड़ौसी यात्री को पूछते भी नहीं हैं कि कहां के हों और कहां जाना है। वे अपनी किताब लेकर पढ़ रहे हैं या फिर अपने मोबाइल में ही व्यस्त दिखाई देते हैं। राजनीति की चर्चा तो कहीं दूर-दूर तक भी नहीं होती। मैंने चलाकर दो-चार लोगों से सवाल किया तो वे मुस्कराते हुए बोले नो इंटरेस्ट…यानि सार्वजनिक तौर पर कोई भी राजनीतिक खुलासों में दिलचस्पी नहीं लेना चाहता।
नेताओं के न लंबे भाषण, न लंबा स्वागत
बड़ा नेता आए और एक दर्जन से ज्यादा नेताओं को पहले सुनना पड़े जो राज्य तथा देश भर से आए हुए हों, ऐसा केरल में नहीं होता है। बड़े नेता की रैली है तो एक युवा नेता उसके व पार्टी के गुणगान के लिए केवल एंकर की भूमिका में रहेगा, इसके अलावा अलग-अलग नेताओं को बारी-बारी से बुलाने का रिवाज नहीं है। एक बड़े नेता का स्वागत दुपट्टा ओढ़ाकर और एक-दो माला से कर लिया, इसके अलावा कोई लंबी फेहरिस्त नहीं बनती। एंकर के बाद सीधा बड़े नेता का भाषण शुरू करवा दिया जाता है। चुनावों में लाउड स्पीकर बजते हैं लेकिन चुनावों में स्थानीय नृत्य की झलक देखनी हो तो केरल में दिखती है। बड़े नेताओं के आने पर यहां पर स्थानीय नृत्य के कलाकारों को बुलाया जाता है जो पूरी रैली के दौरान नाचते नजर आते हैं। इनके साथ ढोल के वाद्य वादन भी पूरा रंग जमाते हैं।
आइए पढ़ें : Kerala Assembly Elections 2021 – BJP Full Candidates List
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.