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Kerala Assembly Elections 2021 : केरल में वामपंथी मजबूत, भाजपा की मौजूदगी से कई जगह बन रहा त्रिकोण

Kerala Assembly Elections 2021 : एलडीएफ व यूडीएफ दोनों की कुछ परंपरागत सीटों का गणित बिगडऩा तय

Apr 06, 2021 / 09:02 am

सुनील शर्मा

West Bengal Assembly Elections 2021: Attack and arson at BJP office in Tajpur at Bankura

– हरेन्द्रसिंह बगवाड़ा
Kerala Assembly Elections 2021 : कन्नूर। केरल की सत्ता में एक बार कांग्रेस, दूसरी बार वामपंथी। यह सिलसिला पिछले लंबे अर्से से जारी है। लेकिन इस बार लड़ाई रोचक है। भाजपा ने ऐसी टांग फंसाई है कि केरल की कई ऐसी सीटें जो सत्ताधारी एलडीएफ और विरोधी गठबंधन यूडीएफ की पक्की मानी जाती थी, उनमें भारी उलटफेर होने की संभावना है। हालांकि सबरीमला, मछुआरों के मुद्दे और कांग्रेस के परंपरागत वोटरों ईसाइयों के कुछ धड़ों की नाराजगी के कारण भी चुनावी गणित उलझ गया है।
एलडीएफ: काम पर वोट, युवाओं पर भरोसा
वामपंथी नेतृत्व वाला सत्ताधारी दल एलडीएफ इस समय अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में है। सत्ता पर दोबारा काबिज होने की संभावना के पीछे पहला कारण यह है कि मुख्यमंत्री पी विजयन खुद पुरानी पीढ़ी के नेताओं में हैं, लेकिन इस बार उन्होंने टिकट वितरण में युवाओं पर ज्यादा भरोसा किया है। इसी तरह से महिलाओं और मुस्लिम वर्ग को भी बराबर प्रतिनिधित्व दिया गया है। दूसरा- जब केरल में बाढ़ आई, तब विजयन के नेतृत्व में जोरदार तरीके से राहत और बचाव कार्य किए गए। तीसरा – कोरोना कंट्रोल के नियंत्रण की दिशा में भी राज्य सरकार की भूमिका निर्णायक साबित हुई। आर्थिक रूप से कमजोर और कोरोना की वजह से नौकरी जाने वालों को उचित उपचार के अलावा नि:शुल्क राहत किट बांट कर भी जनता का भरोसा कायम किया।
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इन सबके बावजूद एलडीएफ सरकार पर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगे हैं। मुख्यमंत्री के पूर्व प्रमुख सचिव एम शिवशंकर और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत के चलते दुबई से 100 किलो सोने की तस्करी के मामले में जरूर सरकार की किरकिरी हुई। कुछ नीतिगत फैसलों के कारण मछुआरे सरकार से नाराज चल रहे हैं, ऐसे में मत्स्य पालन विभाग की मंत्री मर्सीकुट्टी कोल्लम जिले की विधानसभा सीट कुंडरा में बुरी तरह से फंसी हुई हैं। यहां की प्रमुख संस्था लैटिन कैथोलिक चर्च ने उनके खिलाफ वोट करने का फरमान जारी किया हुआ है।
यूडीएफ: परंपरागत वोट बैंक फिसलने से मुश्किल में
कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को इन चुनावों में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, इसका अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वायनाड से भी यूडीएफ को जीतने में पसीने आ रहे हैं। मुसलमान व ईसाई दोनों यूडीएफ के वोटर हैं, पर यूडीएफ के जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरवादी संगठनों से हाथ मिलाने के कारण कुछ ईसाई संस्थाएं यूडीएफ से दूरी बनाने में लगी हैं। जेकोबाइट्स व मार्थोमाइट्स जैसे क्रिश्चियन संगठन यूडीएफ से नाराज हैं। इंडियन मुस्लिम लीग ने भी अपनी स्थिति भांप कर एक सीट पर 25 सालों बाद फिर से एक महिला को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा के कारण भी यूडीएफ की मुसीबतें बढ़ी हैं।
भाजपा: कई सीटों पर गणित बिगाड़ेगी
केरल में भाजपा ने एलडीएफ और यूडीएफ दोनों को ही मुश्किल में डाल दिया है। दक्षिण केरल में सबरीमला मुद्दे पर भाजपा आक्रामक है। यहां भाजपा का ज्यादा प्रभाव नहीं होने के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी सभा कर चुके हैं। केरल भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के सुरेंद्रन तिरुवनंतपुरम जिले की कोनी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि उनका क्षेत्र पलक्कड़ जिला है। वे गृह जिले के मंजेश्वरम से भी चुनाव लड़ रहे हैं। यह भी भाजपा की मजबूत माने जानी वाली सीटों में से एक है। एलडीएफ की मजबूत सीटें शोरनूर, तरूर, नेनमारा और अलाथूर सीटों पर भी भाजपा ने त्रिकोण की स्थिति बना दी है। इस बार भाजपा की सीटों का आंकड़ा बढ़ सकता है।
आइए पढ़ें : kerala Assembly Elections 2021 – BJP Full Candidates List

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