kerala Assembly Elections 2021 : तिरुवनंतपुरम. जब पूरे देश में सामान्य चुनावों में हत्या जैसी घटना हो ही जाती हैं, उस वक्त में भी केरल का चुनाव शांतिपूर्ण निपट जाता है। शायद आपको यकीन नहीं हो कि पिछले 35-40 वर्षों में केरल में कोई चुनावी हिंसा नहीं हुई। चुनाव के दौरान छोटी-मोटी घटनाएं भी यहां नगण्य हैं। यही कारण है कि मतदान केंद्रों पर यहां आपको पुलिस का भारी भरकम जमावड़ा देखने को नहीं मिलता। नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) व विभिन्न स्टूडेंट्स वॉलंटियर्स के कंधों पर यहां चुनाव सम्पन्न करवाने की जिम्मेदारी है।
केरल के पुलिस निदेशक (जेल) ऋषिराज सिंह भाटी ने बताया कि करीब 96.2 प्रतिशत साक्षरता होने के कारण केरल के मतदाता चुनावों को एक सामान्य घटना की तरह लेते हैं। यदि कोई राजनेता गड़बड़ करे तो वे उसे ठीक नहीं मानते। यहां तक कि अभिनेताओं व प्रमुख खिलाडिय़ों की वे भरपूर इज्जत करते हैं, लेकिन चुनाव में उतरने पर उन्हें ज्यादा भाव नहीं देते। वोटरों का मानना है कि फिल्म अभिनेता, अभिनय के क्षेत्र के लिए बने होते हैं। मनोरंजन करने के लिए वे दिल से उनकी इज्जत भी करते हैं पर राजनीति चूंकि एक सीरियस प्रोफेशन है, लिहाजा वे उसे ही चुनते हैं जो अच्छा नेता हो। बता दें, बीकानेर (राजस्थान) के मूल निवासी ऋषिराज सिंह केरल कॉडर के आइपीएस अधिकारी हैं।
महिला कैदियों की संख्या, महिला जेल स्टाफ से कम-
यहां महिलाओं का अपराध से नाता बहुत कम है। यही कारण है कि तिरुवनंतपुरम की सेंट्रल जेल में महिला स्टाफ की संख्या 225 के करीब है, जबकि महिला कैदियों की संख्या इससे कम है। इतना ही नहीं, केरल के मूल निवासी भी जेलों में कम हैं। भाटी ने बताया, केरल के जो कैदी जेलों में हैं, उनमें भी हवाला, चिटफंड, धोखाधड़ी, साइबर क्राइम जैसे मामलों के ज्यादा हैं। सोने की तस्करी के मामले भी यहां ज्यादा हैं। सोने के आभूषणों की केरल में बेहद मांग हैं। त्रिशूर को देश में सोने की राजधानी के तौर पर जाना जाता है। सभी सजायाफ्ता कैदियों से यहां काम करवाया जाता है। तिरुवनंतपुरम में कैदी मिल कर एक रेस्टोरेंट व एक पेट्रोल पम्प का संचालन करते हैं। जेल में भी सभी कैदियों को काम सिखा कर उन्हें व्यस्त रखा जाता है।