व्यावसायिक शिक्षा पर रहेगा जोर
देश की शिक्षा नीति में हुए अहम बदलावों से विद्यार्थियों को जहां मानसिक तौर पर राहत मिलेगी, वहीं शिक्षक की नौकरी हासिल करने वाले बेरोजगारों की मुसीबत बढ़ेगी। नई शिक्षा नीति में सबसे ज्यादा फोकस व्यावसायिक शिक्षा पर किया गया है। कक्षा छठी से जहां विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा दी जाएगी, वहीं दसवीं के बाद के पाठ्यक्रम में प्रायोगिक क्लास पर ज्यादा जोर रहेगा। नई नीति के जरिए आंगनबाड़ी केन्द्रों के ढांचे को और मजबूत करने का सपना भी दिखाया गया है। नई शिक्षा नीति के अहम बदलावों को लेकर पत्रिक की खास रिपोर्ट।
विद्यार्थियों को ऐसे राहत
1. खत्म होगी बोर्ड परीक्षा, परख पर रहेगा जोर
नई शिक्षा नीति के जरिए देशभर में पांचवीं व आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं खत्म होंगी। दसवीं व 12 वीं की परीक्षाओं में परख विषयक मूल्यांकन पर जोर रहेगा। पांचवी, आठवीं व दसवीं की परीक्षाएं बिल्कुल नए सिरे से होगी। इससे विद्यार्थियों को काफी राहत मिलेगी। दसवीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव किए जाएंगे। बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को कम किया जाएगा। बोर्ड परीक्षा में मुख्य जोर विद्यार्थियों के ज्ञान परीक्षण पर होगा ताकि छात्रों में रटने की प्रवृत्ति खत्म की जा सके। सभी राज्यों के बोर्ड आने वाले समय में बोर्ड परीक्षाओं के प्रैक्टिकल मॉडल को तैयार करेंगे।
2. कक्षा छठी से व्यावसायिक शिक्षा
विद्यार्थियों को रोजगार से जोडऩे के लिए रोजगारपरक शिक्षा को नई शिक्षा नीति में बढ़ावा दिया गया है। कक्षा छठी से पूरे देश में व्यावसायिक शिक्षा भी विद्यार्थियों को मिल सकेगी। इसके पाठ्यक्रम निर्धारण के लिए कौशल विकास सहित अन्य की मदद ली जाएगी।
3. शुरू होगा 5+3+3+4 फॉर्मेट
अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा एक व कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा। अगले तीन साल का स्टेज कक्षा 3 से 5 तक का होगा। इसके बाद 3 साल का मिडिल स्टेज आएगा यानी कक्षा 6 से 8 तक का स्टेज। छठी से बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल एजुकेशन दी जाएगी। स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। चौथा स्टेज (कक्षा 9 से 12वीं तक का) 4 साल का होगा। इसमें छात्रों को विषय चुनने की आजादी रहेगी। साइंस या गणित के साथ कोई भी व्यवसायिक पाठ्यक्रम पढऩे की छूट रहेगी।
4. पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा में पढ़ाई
नई शिक्षा नीति में पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
5. स्कूलों में ऐसे होगा बच्चों का आकलन
देश के बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में अहम बदलाव होगा। उनका तीन स्तर पर आकलन किया जाएग। एक स्वयं छात्र करेगा, दूसरा सहपाठी और तीसरा उसका शिक्षक। नेशनल एसेसमेंट सेंटर-परख बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर परीक्षण करेगा।
6. बीएड चार साल की होगी
बीएड 4 साल की होगी। नई नीति के अनुसार, पेशेवर मानकों की समीक्षा एवं संशोधन होंगे।
7. प्री-प्राइमरी लेवल पर स्पेशल सिलेबस तैयार होगा
नई नीति में स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा में दस-दस बड़े बदलाव का विजन दिखाया गया है। शिक्षा नीति में तकनीक के इस्तेमाल पर काफी फोकस किया गया है। प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम मॉड्यूल तैयार होगा। इसके तहत तीन से छह वर्ष तक की आयु के बच्चे आएंगे। 2025 तक कक्षा तीन तक के छात्रों को मूलभूत साक्षरता तथा अंक ज्ञान सुनिश्चित किया जाएगा। मिडिल कक्षाओं की पढ़ाई पूरी तरह बदल जाएगी।
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