केस 1.
सीकर के ब्राईट स्कूल से 99.50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले हंसराज फोगावट ने संभवतया: प्रदेश में सबसे ज्यादा अंक अर्जित किए हैं। हंसराज ने हिंदी, इंग्लिश, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और गणित इन सभी विषयों में क्रमश: 100 अंक प्राप्त किए हैं। लेकिन संस्कृत में 97 माक्र्स आने पर हंसराज शतक से चूक गया। हंसराज का भी यहीं कहना है कि मैने संस्कृत में कम माक्र्स आएंगे ऐसा नहीं सोचा था। हांलाकि साथ ही उसने यह भी कहा कि हो सकता है, पेपर में मुझ से भी कोई त्रुटि हो सकती है। इसलिए मैं अपने अंकों से फिलहाल संतुष्ट हूं।
केस 2.
शेखावाटी पब्लिक सीनियर सैकंडरी स्कूल लोसल की छात्रा अंशु मंड़ा ने 98.33 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। अंशु ने इंग्लिश, विज्ञान, गणित में 100 में से 100 तथा सामाजिक विज्ञान में 98 और हिंदी व संस्कृत में 96 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। अंशु का कहना है कि मैं पहले सीबीएसई बोर्ड में थी, इसके चलते मैने नौवीं कक्षा में संस्कृत नहीं पढ़ी। हांलाकि मैने आठवीं तक संस्कृत पढ़ी है। लेकिन एक साल के अंतराल की वजह से मेरे संस्कृत में माक्र्स कम आए है। हिंदी में मेरे तीन नंबर व्याकरण के कटे है, लेकिन हिंदी में एक नंबर और सामाजिक विज्ञान में काटे गए अंकों का मुझे अफसोस है। क्योंकि मैने पेपर करने के बाद पेपर के हर सवाल का जवाब देखा है।
केस 3.
ब्राईट स्कूल से योगेश जांगिड़ ने 97.17 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। योगेश ने गणित में 100, सामाजिक विज्ञान में 99, विज्ञान में 98, हिंदी में 96 और इंग्लिश व संस्कृत में 95 अंक अर्जित किए हैं। योगेश का कहना है कि मैं सभी विषयों को समान समझता हूं। संस्कृत विषय में भी मेरी अच्छी तैयारी थी। पेपर भी अच्छा किया, लेकिन फिर भी मेरे कम अंक प्राप्त हुए इसका मुझे भी ताजूब है।
एक्सपर्ट व्यू:
संस्कृत में हमेशा से गणित की तरह विद्यार्थियों के पूरे माक्र्स आते हैं। स्कूलों में संस्कृत शिक्षकों की कोई कमी भी नहीं हैं। लेकिन कई विद्यार्थी विषय को आसान समझकर भी लापरवाही कर देते हैं। संस्कृत व्याकरण का विषय है। मात्राओं की अशुद्धियों के कारण भी अंक कट जाते है। इसके अलावा कई विद्यार्थी प्रश्न पत्र को ध्यान से पढ़े बगैर ही कई बार जल्द बाजी में सवाल का जवाब दे देते हैं।
सुमित्रा चौधरी, प्रधानाचार्य राजकीय बालिका सीसैं स्कूल दुजोद