कैसे होगा आवेदन
इसके लिए आप सीधे रिलायंस जियो की टीम से संपर्क कर सकते है। टीम को आपको अपनी जगह की पूरी जानकारी देनी होगी। मोबाइल ऑपरेटर टीम खुद यह तय करती है कि किन लोकेशन में टावर लगवाने की जरूरत है। इसके बाद वे जगह का चुनाव करते हैं। अगर चुनी हुई लोकेशन में आपकी प्रॉपर्टी है तो आप इसका फायदा मिल सकता है। इसके अलावा आप कंपनी की बेवसाइट से भी जानकारी ले सकते हैं।
इसके लिए आप सीधे रिलायंस जियो की टीम से संपर्क कर सकते है। टीम को आपको अपनी जगह की पूरी जानकारी देनी होगी। मोबाइल ऑपरेटर टीम खुद यह तय करती है कि किन लोकेशन में टावर लगवाने की जरूरत है। इसके बाद वे जगह का चुनाव करते हैं। अगर चुनी हुई लोकेशन में आपकी प्रॉपर्टी है तो आप इसका फायदा मिल सकता है। इसके अलावा आप कंपनी की बेवसाइट से भी जानकारी ले सकते हैं।
कितनी होगी कमाई
अलग अलग कंपनियां इसके लिए अलग अलग रकम तय करती है। एक महीने की बात करें तो कंपनियां 25 से 30 हजार तक का किराया देती हैं। कंपनी की टीम आकर आपके जगह का सर्वे करेगी। उसके बाद कंपनी किराया फिक्स करती है। किराये की रकम आपको हर महीने एक तय तारीख पर मिल जाया करेगी।
अलग अलग कंपनियां इसके लिए अलग अलग रकम तय करती है। एक महीने की बात करें तो कंपनियां 25 से 30 हजार तक का किराया देती हैं। कंपनी की टीम आकर आपके जगह का सर्वे करेगी। उसके बाद कंपनी किराया फिक्स करती है। किराये की रकम आपको हर महीने एक तय तारीख पर मिल जाया करेगी।
अपनी ओर से नहीं करना होगा कोई खर्च
मोबाइल टॉवर लगाने की सारी जिम्मेदारी कंपनी की होती है। इसके लिए आपको एक रुपया भी खर्च करने की जरुरत नहीं है। हालांकि किराये की रकम लोकेशन के आधार पर तय होती है। मेट्रो शहरों में कंपनियां ज्यादा किराया देती है। जबकि छोटे शहरों में रकम कुछ कम हो जाती है।
मोबाइल टॉवर लगाने की सारी जिम्मेदारी कंपनी की होती है। इसके लिए आपको एक रुपया भी खर्च करने की जरुरत नहीं है। हालांकि किराये की रकम लोकेशन के आधार पर तय होती है। मेट्रो शहरों में कंपनियां ज्यादा किराया देती है। जबकि छोटे शहरों में रकम कुछ कम हो जाती है।